इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला: DNA टेस्ट से पता चल सकता है कि पत्नी बेवफा है या नहीं

punjabkesari.in Thursday, Nov 19, 2020 - 01:29 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि डीएन टेस्ट से पता चल सकता है कि बच्चे का पिता कौन है। और पत्नी की सच्चाई भी सामने आ सकती है। पती के साथ पत्नी ने बेवफाई तो नहीं की है।  बता दें कि यहा फैसला कोर्ट ने हमीरपुर के रहने वाले एक दंपती की याचिका पर सुनाया है। दरअसल तलाक के तीन साल बाद पत्नी ने मायके में बच्चे को जन्म दिया था। जबकि पति ने पत्नी के साथ शारीरिक संबंध होने से किया इनकार किया था इसी को लेकर पत्नी ने दावा किया था कि बच्चा उसके पति का है। लेकिन पति ने दावा किया था कि यह बच्चा मेरा नहीं है। इस मामले को लेकर कोर्ट ने वैज्ञानिक दृष्टि अपनाते हुए डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि डीएनए टेस्ट से यह साबित किया जा सकता है कि पत्नी बेईमान, व्यभिचारी या बेवफा नहीं है।

कोर्ट के समक्ष मुद्दा आया कि क्या अदालत, हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 13 के तहत पति की ओर से दायर तलाक की याचिका में व्यभिचार के आधार पर पत्नी को यह निर्देश दे सकती है कि वह या तो डीएनए टेस्ट कराए या डीएनए टेस्ट कराने से इनकार कर दे? अगर वह डीएनए टेस्ट कराने का चुनाव करती है, तो क्या डीएनए टेस्ट का निष्कर्ष या परिणाम आरोप की सत्यता का निर्धारण करता है?

बता दें कि 15 जनवरी 2013 से वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रह रहा था। 25 जून 2014 को दोनों का तलाक हो गया। पति का दावा था कि उसका पत्नी के साथ कोई संबंध नहीं था। पत्नी अपने मायके में रह रही है। 26 जनवरी 2016 को उसने एक बच्चे को जन्म दिया। पति ने कहा कि 15 जनवरी 2013 के बाद से दोनों के बीच शारीरिक संबंध नहीं बने। पति ने दावा किया कि बच्चा उसका नहीं है, जबकि पत्नी का कहना है कि बच्चा उसके पति का ही है।

गौरतलब है कि पति ने इस मामले में डीएनए टेस्ट कराने का आवेदन किया। फैमिली कोर्ट ने यह अर्जी खारिज कर दी थी। मामला हाई कोर्ट में पहुंचा। हाई कोर्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए इस पर अहम फैसला सुनाया। जिससे सच सामने आ जायेगा कि  पत्नी सही है या पती

 

 


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Ramkesh

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