भावनात्मक रूप से मृत वैवाहिक संबंध को जारी रखना मानसिक क्रूरताः हाईकोर्ट

punjabkesari.in Friday, Mar 01, 2024 - 04:12 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाह विच्छेद के मामले से एक अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि जब विवाह पूरी तरह से अव्यावहारिक और भावनात्मक रूप से मृत हो गया हो तो ऐसे रिश्ते को  जारी रखना निश्चित रूप से पीड़ित पर मानसिक क्रूरता मानी जाएगी।जुड़ी भले ही विपक्षी ऐसे भावनात्मक रूप से मृत रिश्ते को जारी रखने पर जोर  दे रहा हो। विवाह विच्छेद का कारण शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, जाति बंधनों का टूटना, आधुनिकीकरण, पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव है। व्यक्तिवादी दृष्टिकोण के कारण भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता नहीं हो रही है।

PunjabKesari

प्रेम विवाह हो या अरेंज मैरिज, विवाह केवल नाम मात्र का  है
प्रेम विवाह हो या अरेंज मैरिज, दोनों पक्षों में अलग रहने की भावना वैवाहिक विवाद का कारण बनती है। जिन मामलों में विवाह केवल नाम मात्र का  है,  वहां इसे जारी रखने का कोई लाभ नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे अव्यावहारिक वैवाहिक संबंधों को जारी रखना पक्षकारों पर विशेषकर याची पर मानसिक क्रूरता के अलावा कुछ नहीं है।

PunjabKesari

खंडपीठ ने कर्नल मनोज कुमार गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए...
न्यायालय न्याय चाहने वाले वादकारियों के प्रति जवाबदेह होता है। बदलते समय और अनुभव के साथ ऐसी क्रूर सच्चाई से कानून को तालमेल बैठाना पड़ता है। अतः कोर्ट विवाह विच्छेद के मामलों में विपक्षी द्वारा समझौते की कवायद करने के बावजूद अपूरणीय विवाह के साक्ष्य मिलने के बाद याची को तलाक देते के लिए बाध्य हो जाती है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कर्नल मनोज कुमार गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ajay kumar

Recommended News

Related News

static