UP: वेतन में मनमानी कटौती और ''घोटाले'' के खिलाफ एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी आंदोलनरत

punjabkesari.in Sunday, Jun 28, 2020 - 06:34 PM (IST)

लखनऊ: कोविड-19 महामारी के मुश्किल वक्त में साथ निभाने वाली 102 और 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी कथित तौर पर फर्जी बिल बनाकर पैसे हड़प लिये जाने, आधे-अधूरे वेतन तथा अन्य समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

मांग पूरी न होने पर एंबुलेंस सेवा पूरी तरह होगी ठप
एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही कंपनी 'जीवीके-ईएमआरआई' के लखनऊ स्थित मुख्यालय पर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि अगर फर्जी बिल बनाकर पैसे हड़पने की घटना की सीबीआई जांच नहीं करायी जाती है और उनके वेतन संबंधी मांगों को पूरा नहीं किया जाता तो वह एंबुलेंस सेवा पूरी तरह ठप कर देंगे।

कर्मचारियों के नाम से करोड़ों रुपए का किया गया गबन: पांडे
एंबुलेंस कर्मचारियों के संगठन 'जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108, 102 उत्तर प्रदेश' के प्रदेश अध्यक्ष हनुमान पांडे ने रविवार को बताया कि कंपनी 102 और 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों के नाम से फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपए का गबन कर चुकी है।

108, 102 के प्रदेश अध्यक्ष की सरकार से CBI जांच की मांग
उन्होंने दावा किया कि कागजों पर तो एंबुलेंस सेवा में 19200 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि इस वक्त बमुश्किल 16000 कर्मचारी ही कार्यरत हैं एवं बाकी 3000 से ज्यादा कर्मचारियों के नाम से फर्जी बिल बनाकर सरकार से पैसे लिये जा रहे हैं। पांडे ने कहा कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है और उनकी मांग है कि सरकार इसकी सीबीआई से जांच कराए। उन्होंने कहा कि सरकार अगर उनकी मांगे नहीं मानती हैं तो सोमवार से प्रदेश में एंबुलेंस सेवा ठप कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी कर्मचारियों के वेतन में भी मनमानी कटौती कर रही है तथा उसने शनिवार को अचानक 1600 कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाल दिया।

जीवीके EMRI के प्रवक्ता ने पांडे के आरोपों का किया खंडन
इस बीच जीवीके ईएमआरआई के प्रवक्ता सुनील यादव ने पांडे के आरोपों को सिरे से गलत बताते हुए कहा कि कंपनी में कोई भी घोटाला नहीं हुआ है। कुछ बाहरी तत्व कोविड-19 महामारी के इस मुश्किल समय में एंबुलेंस सेवा को पटरी से उतारना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला है।

1600 कर्मचारियों के विषय में पूछे जाने पर प्रवक्ता का जवाब
इस बारे में पूछे जाने पर कि अगर ऐसा नहीं है तो वह 1600 कर्मचारियों की सूची कैसे सामने आई, यादव ने कहा कि यह उन कर्मचारियों की सूची है जो कंपनी को बताए बगैर ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं या फिर लंबे वक्त से बिना बताए गायब हैं, इन्हें निकाला नहीं गया है।

एंबुलेंस सेवा के कुछ कर्मचारी नेता इस मुद्दे को बेवजह दे रहे तूल: प्रवक्ता
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी हर तीन चार महीने पर ऐसे कर्मचारियों की सूची तैयार करती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इस सूची में जिन लोगों का नाम है वह अगर चाहें तो मुख्यालय से संपर्क कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि एंबुलेंस सेवा के कुछ कर्मचारी नेता इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रहे हैं।

108 और 102 एंबुलेंस सेवा लोगों के लिए 'लाइफलाइन'
गौरतलब है कि प्रदेश की 108 और 102 एंबुलेंस सेवा दूरदराज के इलाकों में बीमार तथा दुर्घटनाओं में घायल हुए लोगों के लिए 'लाइफलाइन' समझी जाती है। कोविड-19 संक्रमण के वक्त इस सेवा की अहमियत और भी बढ़ गई है। मौजूदा गतिरोध की वजह से अगर इसका संचालन प्रभावित हुआ तो इसका खासा असर पड़ सकता है।


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Edited By

Umakant yadav

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