BJP में कितना परिवारवाद? बंटवारे में 11 सांसदों का क्या कटेगा टिकट? 7 मंत्री, 14 विधायक ये बड़े नाम

punjabkesari.in Monday, Aug 21, 2023 - 06:42 PM (IST)

लखनऊ: परिवारवाद या वंशवाद की राजनीति संभवत: लोकतंत्र की भावना के विपरीत है। आलोचकों का कहना है कि यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्याप्त कई राजनीतिक बुराइयों में से एक है। देश की तमाम पार्टियां इसकी जद में हैं। यूपी परिवारवाद का गढ़ है। सपा की बुनियाद परिवारवाद की राजनीति ही है। बसपा में अब मायावती के भतीजे आकाश आनंद बड़ी भूमिका में हैं। तो वहीं परिवार की पूरी राजनीति अमेठी-रायबरेली पर ही टिकी रही है। वहीं भाजपा भी इससे अछुती नहीं है। पार्टी में 11 ऐसे बड़े सांसद चेहरे हैं, जिनका परिवार भी राजनीति में बड़े पदों पर है या पहले रह चुका है।
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2024 के लोकसभा चुनाव में परिवारवाद एक बार फिर बड़ा चुनावी मुद्दा होगा। तो ऐसे में पार्टी इस आम चुनाव में परिवार राजनीति करने वाले 11 सांसदों का टिकट काटेगी? ये एक बड़ा सवाल है। जिसका जवाब आने वाला समय ही देगा, लेकिन ये देखना बहुत ही दिलचस्प होगा कि भाजपा परिवारवाद के मसले को कैसे हल करती है। यूपी में भाजपा के पास परिवार राजनीति में 32 बड़े चेहरे हैं।

बीजेपी मे परिवारवाद सांसदों की लिस्ट :-

1. राजनाथ सिंह
गृहमंत्री, सांसद लखनऊ बेटा - पंकज सिंह, विधायक, नोएडा
2. राजवीर सिंह, सांसद एटा बेटा - संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा मंत्री यूपी
पिता और दादा - स्व. कल्याण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल
3. मेनका गांधी सुल्तानपुर सांसद बेटा - वरुण गांधी, सांसद पीलीभीत
4. संघमित्रा मौर्य सांसद बदायूं पिता - स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व मंत्री

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5. कौशल किशोर: केंद्रीय मंत्री, सांसद मोहनलालगंज पत्नी - जयदेवी, विधायक मलिहाबाद लखनऊ
6. ब्रजभूषण शरण सिंह, सांसद कैसरगंज बेटा - प्रतीक भूषण, विधायक गोंडा पत्नी केतकी सिंह, पूर्व सांसद
7. कीर्तिवर्धन सिंह सांसद गोंडा, पिता - आनंद सिंह, पूर्व सांसद
8. हेमा मालिनी, सांसद मथुरा, पति- धर्मेंद्र- पूर्व सांसद, बेटा - सनी देओल, सांसद गुरदासपुर
9. रीता बहुगुणा जोशी, सांसद प्रयागराज पिता - हेमवती नंदन बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री मां- स्व. कमला बहुगुणा, सांसद भाई - विजय बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री
10. प्रवीण निषाद: सांसद, संत कबीर नगर, पिता - संजय निषाद, मंत्री, यूपी सरकार


बीजेपी में परिवारवाद से ये हैं मंत्री और विधायक

1. दिनेश प्रताप सिंह, मंत्री भाई - राकेश सिंह, पूर्व विधायक हरचंदपुर रायबरेली
2. दयाशंकर सिंह सड़क परिवन मंत्री पत्नी - स्वाति सिंह, पूर्व मंत्री
3. नंद गोपाल नंदी इंडस्ट्री डेवलपमेंट मंत्री, पत्नी- अभिलाषा गुप्ता, पूर्व मेयर प्रयागराज
4. नितिन अग्रवाल, मंत्री, विधायक हरदोई, पिता- नरेश अग्रवाल, पूर्व मंत्री और सांसद
5. अनिल राजभर, मंत्री, विधायक बनारस, पिता- रामजीत राजभर, पूर्व विधायक
6. सूर्य प्रताप शाही मंत्री, विधायक देवरिया, बेटा - सुब्रत शाही, ब्लॉक प्रमुख
7. आशुतोष टंडन विधायक लखनऊ, पिता स्व. लालजी टंडन, पूर्व राज्यपाल
8. नीलिमा कटियार विधायक कानपुर, पूर्व मंत्री मां- प्रेमलता कटियार- पूर्व मंत्री
9. पंकज सिंह विधायक नोएडा, पिता- राजनाथ सिंह, देश के गृहमंत्री
10. जितिन प्रसाद, लोक निर्माण मंत्री, विधायक शाहजहांपुर, पिता - जितेंद्र प्रसाद, पूर्व सांसद और मंत्री
11. अनुराग सिंह विधायक मिर्जापुर, पिता- ओम प्रकाश सिंह, पूर्व विधायक
12. पक्षालिका सिंह विधायक आगरा, पति- राजा अरिदमन सिंह, पूर्व मंत्री
13. अदिति सिंह, विधायक रायबरेली, पिता स्व. अखिलेश सिंह, पूर्व विधायक
14. सुरेंद्र कुशवाहा: विधायक, फाजिलनगर, पिता - गंगा सिंह कुशवाहा- पूर्व विधायक
15. विवेक वर्मा: विधायक पीलीभीत, पिता राम सरन वर्मा, पूर्व विधायक
16. राम विलास चौहान विधायक मऊ, पिता फागू चौहान - राज्यपाल मेघालय
17. अमित चौहान बकापुर, अयोध्या, पिता - स्व. मुन्ना सिंह चौहान, पूर्व मंत्री
18. अशोक कोरी सलोन, रायबरेली, पिता स्व. बहादुर कोरी, पूर्व विधायक
19. संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा मंत्री यूपी, पिता- राजवीर सिंह, सांसद एटा
20. जयदेवी, विधायक मलिहाबाद लखनऊ, पति- कौशल किशोरसांसद और केंद्रीय मंत्री
21. प्रतीक भूषण विधायक गोंडा, पिता - ब्रजभूषण शरण सिंह, सांसद गोंडा

परिवार के इर्द-गिर्द सिमटी हुई राजनीति 
परिवारवाद की राजनीति को जरा बारिकी से देखा जाए तो राजनीति में जाति और वोट एक ऐसा फैक्टर है, जो भाजपा को परिवारवादी पार्टियों से गठबंधन के लिए मजबूर करता है। उत्तर प्रदेश में भाजपा का जिन तीन दलों के साथ गठबंधन है, उनकी बुनियाद भी परिवार की राजनीति पर ही टिकी है। भाजपा के इन तीन घटक दलों के नाम अपना दल एस, निषाद पार्टी और सुभासपा है। ये दल यूपी में क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों के आधार पर बने हैं। इन पार्टियों की राजनीति एक ही परिवार के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है।

मोदी परिवारवाद को लेकर कितने सजग?
ऐसे में आगामी चुनाव में सिर पर हैं। बीजेपी बड़े मुद्दों को लेकर इस बार लोकसभा के चुनावी रण में कूदने के लिए तैयारी कर रही है। जिसमें परिवारवाद अहम मुद्दा है। इसकी एक झलक 15 अगस्त को पीएम मोदी ने लाल किले पर 10वीं बार तिरंगा फहराया तो इस बार देशवासियों को उन्होंने “परिवारजन’ कहकर बुलाया। कहा- लोकतंत्र में एक बीमारी आई है, वो परिवारवादी पार्टी है। परिवारवाद का मूल मंत्र है- ऑफ द फैमिली, बाई द फैमिली और फॉर द फैमिली। प्रधानमंत्री ने अपने 90 मिनट के संबोधन में 12 बार परिवारवाद का जिक्र किया। इससे आप समझ सकते हैं कि इस बार आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी परिवारवाद को लेकर कितने सजग हैं। उनके इस बयान ये साफ तौर पर जाहिर होता है।
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यूपी में परिवारवाद के पहले उदाहरण सीएम योगी- विपक्ष 
वहीं विपक्ष का इस पर जवाब रहता है कि यूपी में परिवारवाद के पहले उदाहरण सीएम योगी हैं। वहीं, भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या की डिक्शनरी में परिवारवाद की परिभाषा अलग है। उनका कहना है कि यदि पार्टी में पिता सांसद और बेटा विधायक है तो ये परिवारवाद की श्रेणी में नहीं आता है। यही वजह है कि भाजपा में जब परिवारवाद का मुद्दा उठता है तो कार्यकर्ता असहज होते हैं, क्योंकि टिकट बंटवारे में इसकी झलक दिख जाती है। यदि भाजपा आने वाले चुनाव में इसका ख्याल रखती है, तो चुनावों में भाजपा के लिए लाभदायक रहेगा। हालांकि भाजपा में बाहर से आए तो परिवारवाद को रोकना ही बड़ी चुनौती है।
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महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ...
गौरतलब है कि महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ 1998 में सबसे कम उम्र के सांसद बने थे। गुरु अवैद्यनाथ के राजनीति से सन्यास लेने के बाद योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई। 1998 में 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद बने। महज 26 साल की उम्र में सांसद बने योगी आदित्याथ अब सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री पद की शोभा बढ़ा रहे हैं। बीजेपी सपा पर परिवार की पार्टी होने का आरोप लगाती है।


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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