एक्सीडेंट में अपाहिज पति, भुख से बिलखते बच्चे...मुसीबतों का टूटा पहाड़ तो महिला ने यूं लिखी सफलता की दास्तां
punjabkesari.in Monday, Oct 31, 2022 - 05:45 PM (IST)

बागपत: "हौसला ना छोड़ कर सामना जहान का, वो देख बदल रहा है रंग आसमान का" ये कथन बागपत की सुमन के लिए सटीक बैठते हैं। भुख से बिलखते बच्चों को दो टाइम की रोटी और दुर्घटना में बुरी तरह घायल पति के इलाज के लिए पैसा कमाने की धुन में गांव की ठेठ देहाती महिला ने सफलता की ऐसी दास्तान लिख दी कि आज उसका नाम जनपद की सफल महिला उद्यमियो में शुमार हो गया है।
बागपत के एक छोटे से गांव बडौली में सुमन का परिवार हंसी खुशी रहता था थोड़ी सी खेती और पति की नोकरी से घर अच्छे से चल रहा था, लेकिन पांच वर्ष पूर्व सुमन के पति सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो कर अपना एक पैर गवां बैठे तो सुमन के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया पति की बीमारी में लगता अंधाधुंध पैसा और दोनों बच्चों का पालन पोषण करना सुमन के लिए बहुत कठिन होने लगा बच्चों का स्कूल छूटने की नोबत आ गयी तो घर मे चौका चूल्हा संभालने वाली सुमन ने कुछ करने की ठान ली।
सुमन नज़दीक के कस्बे बड़ौत से चारपाई बुनने वाले बाण ले कर गांव में उनको थोड़ा सा मुनाफा ले कर बेचने लगी। ठेठ ग्रामीण माहौल में सुमन को ये काम करते देख लोगो ने ताने देने शुरू कर दिए कि ये तो मर्दों के काम है, लेकिन तम्माम तानों और विरोधाभास की परवाह न करते हुए सुमन ने अपना काम जारी रखा सुमन बताती है कि वो घर का काम करके 6 किलो मीटर दूर बड़ौत से चारपाई के दस दस किलो बाण सिर पर रख कर गांव में लाती थी फिर उनको घर घर बेचने जाती थी।
धीरे-धीरे सुमन की आमदनी बढ़ने लगी तो सुमन ने बड़ौत में ही स्टील की चारपाई बना कर बेचने का काम शुरू किया। देखते ही देखते सुमन की चारपाई की शोहरत फैलने लगी। आज सुमन की चारपाई पूरे पश्चमी उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि अन्य प्रदेशो में भी हाथों हाथ बिकती है और सुमन के पास अब कारीगरों की लंबी फौज है, जो मांग के अनुरूप आपूर्ति करने के लिए जम कर मेहनत करती है। सुमन ने बताया कि उनकी बनाई चारपाई कनाडा में भी निर्यात की गई है। आज सुमन अपने संघर्ष के बूते पर जनपद की सफल महिला उद्यमी के रूप में जानी जाती है। और सुमन की चारपाइयों को लेने वालों को 15 दिन पहले चारपाई बुक करानी पड़ती है।