KUMBH MELA 2019: इंजीनियर से लेकर बोर्ड परीक्षा के टॉपर तक बने नागा साधु

punjabkesari.in Tuesday, Feb 05, 2019 - 12:52 PM (IST)

प्रयागराज: सांसारिक सुख और मोह को त्यागने की उम्र लगातार घटती जा रही है। सनातन परम्परा में मनुष्य के जीवन को 4 आश्रमों ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वाणप्रस्थ और संन्यास में बांटा गया है, लेकिन वर्तमान समय में कुछ युवा बेहद कम उम्र में ही नागा साधु बनकर सीधे संन्यास आश्रम में जाने का फैसला कर रहे हैं। इनमें इंजीनियर से लेकर एमबीए करने वाले भी शामिल हैं और 12वीं की परीक्षा में टॉप करने वाले भी। प्रयागराज कुंभ में सोमवार को मौनी अमावस्या पर ऐसे ही 10 हजार पुरुष-महिलाओं को नागा साधु बनने की दीक्षा दी गई।

PunjabKesariसपने ने बदल दी मरीन इंजीनियर युवक की जिंदगी
गुजरात में कच्छ के रहने वाले 27 वर्षीय रजत कुमार राय अब नित्यानंद गिरि के नाम से जाने जाएंगे। मरीन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले रजत कुमार के अनुसार कुछ साल पहले उन्होंने सपने में खुद को मरा हुआ देखा। मरने के बाद उन्हें भगवान का दृष्टांत हुआ और यहीं से उन्होंने नागा साधु बनने का फैसला कर लिया।

PunjabKesariबोर्ड परीक्षा के टॉपर का हुआ मोहभंग
मध्य प्रदेश में उज्जैन से 12वीं परीक्षा में टॉप करने वाले घनश्याम गिरि को 16 साल की उम्र में जीवन का उद्देश्य समझ में आया और सांसारिक जीवन से उनका मोहभंग हो गया। वह अपने गुरु महंत जयराम गिरि के आश्रम में गए वहां से खुद के लिए संन्यास का मार्ग चुन लिया। कुछ ऐसी ही कहानी यूक्रेन से एमबीए कर चुके शंभु गिरि की भी है।

PunjabKesariनागा बनने के लिए पहली योग्यता वैराग्य की तीव्र इच्छा
जूना अखाड़े के मुख्य संयोजक महंत हरि गिरि के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो जाति, धर्म या रंग से अलग होने के बावजूद वैराग्य की तीव्र इच्छा रखता है, वह नागा साधु बन सकता है। यहां केवल समर्पण का महत्व है। अखाड़े द्वारा स्वीकार करने के बाद आगे का मार्ग कठिन होता है। पूर्व परीक्षण के बाद सफलता पाने वालों को ही नागा साधु के रूप में दीक्षा दी जाती है।

PunjabKesariनिरंजनी अखाड़े के 70 फीसदी साधु हाइली एजुकेटिड
निरंजनी अखाड़ा सभी 13 अखाड़ों के बीच अपने हाइली एजुकेटिड साधु-संतों के लिए भी खासा प्रसिद्ध है। अखाड़े के 70 फीसदी पढ़े-लिखे साधु-संतों में डॉक्टर, लॉ एक्सपर्ट्स, प्रोफेसर और संस्कृत के आचार्य शामिल हैं। अखाड़े के महेशानंद गिरि भूगोल के प्रोफेसर रहे हैं, बालकानंद गिरि डॉक्टर और पूर्णानंद गिरि लॉ एक्सपर्ट व संस्कृत के विद्वान हैं। संत आनंदगिरि नेट क्वालीफाइड हैं और आईआईटी खड्गपुर व आईआईएम शिलांग में लेक्चर दे चुके हैं और अभी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं।


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