40 बार कॉल… फिर भी नहीं आई एम्बुलेंस! घायल मजदूर ने अस्पताल में तड़पकर तोड़ा दम – लापरवाही की कहानी हिलाकर रख देगी!
punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 11:58 AM (IST)
Mahoba News: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से एक दर्दनाक मामला सामने आया है। जहां निजी एम्बुलेंस का खर्च ना कर पाने वाले गरीब मजदूर धीरज अहिरवार (33) की लापरवाह स्वास्थ्य सेवाओं के कारण मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि जिला अस्पताल में धीरज की मदद के लिए 40 से अधिक बार कॉल करने के बावजूद सरकारी एम्बुलेंस नहीं पहुंची।
मामले का पूरा विवरण
मृतक धीरज अहिरवार, श्रीनगर थाना क्षेत्र के अतरार माफ गांव के रहने वाले थे। धीरज अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए जनपद मुख्यालय में किराए से कमरा लेकर मेहनत मजदूरी करते थे। सोमवार देर रात वह बाइक से गांव से महोबा आ रहे थे। कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर उर्मिल बांध की मुख्य नहर के पास तेज रफ्तार कार ने बाइक को टक्कर मारी। धीरज हेलमेट नहीं पहन रहे थे, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। राहगीरों की सूचना पर परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।
सरकारी एम्बुलेंस ना मिलने का आरोप
मृतक के भाई विनोद अहिरवार ने कहा कि उन्होंने 40 से ज्यादा बार कॉल की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अस्पताल ने बताया कि एम्बुलेंस फुल थी या अन्य मरीजों के लिए गई हुई थी। निजी एम्बुलेंस बुक करने के पैसे परिजनों के पास नहीं थे। परिणामस्वरूप, धीरज मंगलवार को जिला अस्पताल में ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिए।
पुलिस और अस्पताल की प्रतिक्रिया
एम्बुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर दिनेश यादव ने कहा कि मरीज को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एम्बुलेंस अन्य जगहों पर मरीजों को लेने और छोड़ने गई थी। अस्पताल के पास एम्बुलेंस केवल वीआईपी या इमरजेंसी ड्यूटी में भेजी जाती है। सीएमओ डॉ. आशाराम ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
परिवार की स्थिति
मृतक के माता-पिता की नौ साल पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। पत्नी सुनीता रो-रो कर बेहाल हैं। तीन छोटे बच्चों से पिता का साया उठ गया है।
परिणाम और सवाल
गरीब मजदूर की मौत ने स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को उजागर किया है। लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।

