फर्जी मुठभेड़ में पांच पुलिस वालों को आजीवन कारावास

punjabkesari.in Thursday, Dec 22, 2022 - 09:11 PM (IST)

कासगंज : 16 साल, 4 महीने पहले डकैत बताकर फर्नीचर कारीगर को मुठभेड़ में मारने वाले दरोगा सहित नौ पुलिसकर्मियों को गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया है। अदालत ने मंगलवार को फैसला सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को तत्कालीन थाना प्रभारी सहित पांच पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास (उम्रकैद की सजा सुनाते हुए प्रत्येक पर 33 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जबकि राजाराम (फाइल) 4 पुलिसकर्मियों को 5-5 साल सजा सुनाते हुए 11-11 हजार रुपये 7 का जुर्माना लगाया। एक आरोपी अजंट सिंह की सुनवाई के दौरान मौत हो जाने से के चलते अदालत ने 9 दोषियों को सजा सुनाई ।

18 अगस्त 2006 में तत्कालीन जिला एटा एवं इस समय जिले के कस्बा सिढ़पुरा में फर्नीचर कारीगर राजाराम को डकैत बताकर पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। मृतक की पत्नी संतोष ने उच्च न्यायालय का सहारा लिया। 2007 में उच्च न्यायालय ने जांच सीबीआई को सौंपी। 2009 में इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हुआ। 13 साल तक चली सुनवाई के दौरान सीबीआई की टीम ने 13 बार एटा जिले का दौरा किया। सीबीआई के विवेचक रोहित श्रीवास्तव ने गंभीरता दिखाई जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। बुधवार को गाजियाबाद में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश परमेंद्र कुमार शर्मा ने आरोपी पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई। सीबीआई के फैसले से मृतक की पत्नी व परिवारीजनों में खुशी है।

फर्नीचर के पैसे मांगे तो रची मुठभेड़ की साजिश

मृतक राजाराम के भाई अशोक और शिवप्रकाश ने बताया कि राजाराम फर्नीचर का काम करते थे। सिढ़पुरा थाने में तैनात सिपाही राजेंद्र सिंह ने उनसे फर्नीचर बनवाया था लेकिन पैसे नहीं दिए थे। इस बात को लेकर सिपाही से विवाद भी हुआ था। सिपाही ने सबक सिखाने की धमकी दी थी। उस समय यह अहसास नहीं हुआ कि पुलिस इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है। इसी सिपाही ने राजाराम के फर्जी एनकाउंटर में बड़ी भूमिका निभाई।

 


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Content Writer

Ajay kumar

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