Meerut News: 35 साल पुराने कॉम्प्लेक्स पर चला बुलडोजर, आंखों के सामने दुकान टूटते देख फूट- फूटकर रोए व्यापारी
punjabkesari.in Sunday, Oct 26, 2025 - 10:33 AM (IST)
मेरठ: उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए शनिवार को 35 साल पुराने कॉम्प्लेक्स पर बुलडोजर चला दिया। अपने आंखों के सामने दुकान टूटते देख व्यापारी फूट- फूटकर कर रोने लगे। व्यापारियों ने कहा कि जब हमारी दुकान नहीं रहेगी तो हम क्या करेंग। हमारा तो सब कुछ छिन गया। हम लोग अब रोड़ पर आ गए।
इमारत को ढहाने की प्रक्रिया लगभग पांच घंटे चली
आप को बता दें कि मेरठ में एक आवासीय भूखंड पर बने एक अवैध व्यावसायिक परिसर को ध्वस्त कर दिया। यह इमारत मेरठ के शास्त्री नगर स्थित सेंट्रल मार्केट में थी। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार ने बताया, “इमारत को ढहाने की प्रक्रिया लगभग पांच घंटे तक चली। परिसर का अधिकांश भाग ध्वस्त कर दिया गया है।
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर हुई कार्रवाई
इमारत को फिलहाल सील कर दिया गया है और रविवार सुबह से यह कार्रवाई फिर से शुरू होगी।” उन्होंने बताया कि टीम को अब तक किसी प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा है। उच्चतम न्यायालय ने 17 दिसंबर, 2024 के एक आदेश में कहा था कि केवल प्रशासनिक देरी, समय बीतने या वित्तीय निवेश के आधार पर अनधिकृत निर्माण को वैध नहीं ठहराया जा सकता तथा अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने के लिए कई निर्देश जारी किए।
अधिकारियों की जवाबदेही भी होगी सुनिश्चित
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा था कि निर्माण के बाद के उल्लंघनों पर भी त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए, जिसमें अवैध हिस्से को ध्वस्त करना और दोषी अधिकारियों पर जुर्माना लगाना शामिल है। पीठ ने मेरठ के शास्त्री नगर स्थित एक आवासीय भूखंड पर अनधिकृत व्यावसायिक निर्माण को ध्वस्त करने के फैसले को भी बरकरार रखा और शहरी नियोजन कानूनों का कड़ाई से पालन करने व अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को रखा बरकरार
पीठ, राजेंद्र कुमार बड़जात्या द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील सहित कई अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शास्त्री नगर स्थित भूखंड पर अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और देश में ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कई निर्देश पारित किए।

