पीलीभीत कांड: पुलिसवालों की सजा सात-सात साल हो जाने से आहत हैं मृतक तलविंदर के पिता, रोते हुए बोले- यह न्याय नहीं

punjabkesari.in Friday, Dec 16, 2022 - 09:16 PM (IST)

पीलीभीत: 31 साल पहले सिख तीर्थ यात्रियों को आतंकी बताकर एनकाउंटर करने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का निर्णय आने के बाद मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। ट्रायल कोर्ट द्वारा पुलिसकर्मियों को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को निरस्त करते हुए अब सात-सात को भी कम कर दिया गया।

इस फैसले पर मृतक के परिजनों ने असंतुष्टि जताई है। फर्जी एनकाउंटर में मारे गए तलविंदर के पिता मलकीत सिंह ने कहा कि वह अंतिम सांस तक बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। मूलरूप से शाहजहांपुर जनपद के थाना वंडा क्षेत्र के ग्राम नवदिया बंकी के रहने वाले वाले फार्मर मलकीत सिंह इन दिनों कनाडा में परिवार समेत रह रहे हैं। एनकाउंटर में मारे गए 11 लोगों में उनका 20 वर्षीय बेटा तलविंदर सिंह भी था। जून 1991 में वह अपने अन्य साथियों संग धार्मिक यात्रा पर गया था। वापसी के दौरान पुलिस ने उनकी बस को रोक लिया था। फिर उनके बेटे समेत 11 यात्रियों को कस्टडी में पीलीभीत ले आए। इसके बाद तीन स्थानों पर मुठभेड़ दिखाते हुए फर्जी एनकाउंटर कर दिया गया। बेटे की हत्या पुलिसवालों ने कर दी थी।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष के पिता ने दी थी गवाही
कांग्रेस जिलाध्यक्ष हरप्रीत सिंह बब्बा ने बताया कि इस फर्जी एनकाउंटर कांड में उनके पिता पीलीभीत के गजरौला थाना क्षेत्र के ग्राम वैबहा फार्म निवासी मेजर सिंह चब्बा ने गवाही दी थी। उनकी गवाही चश्मदीद के तौर पर थी। यह भी बताया कि उनके पिता इस मुकदमे के मुख्य गवाहों में शामिल रहे हैं।

खुलेआम होती थीं हत्याएं, थानों के गेट हो जाते थे बंद
जिस वक्त यह फर्जी एनकाउंटर कांड हुआ, उस वक्त पीलीभीत आतंकवाद के दौर से गुजर रहा था। इसका असर पड़ोसी जनपद लखीमपुर खीरी में था। लोगों के अनुसार आलम यह था कि सरेआम सड़कों पर सामूहिक हत्याएं की जाती थीं। कई पुलिसकर्मियों को भी आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं शाम को थानों के गेट बंद हो जाते थे। पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियां भी बिना नंबर प्लेट के दौड़ती थीं। आतंकवाद के उसी दौर का कठरुआ कांड भी बहुचर्चित है। जंगल में कठरुए बीनने गए कई ग्रामीणों को आतंकियों ने मार दिया था। न्यूरिया में भी सामूहिक हत्या की गई। बेखौफ होकर अपहरण तक कर लिए जाते थे।

 

 


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Content Writer

Ajay kumar

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