रामनवमीः लॉकडाउन के दौरान घर बैठे करें UP के इन प्रमुख राम मंदिरों के दर्शन

punjabkesari.in Thursday, Apr 02, 2020 - 02:08 PM (IST)

लखनऊः 'भए प्रकट कृपाला, दीन दयाला, कौशल्या हितकारी'...जी हां आज मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम का जन्मदिवस है। श्रीराम ने दुनिया को एक सुंदर उदाहरण दिया जिसमें बेहतर शासक, बड़ा भाई, कर्तव्यपरायणपुत्र, सुयोग्य पति के साथ-साथ भगवान और भक्त के बीच के रिश्तों के साथ-साथ कई लोकमंगलकारी बातें बताई।वहीं कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण आप मंदिर नहीं जा सकते ऐसे में रामलला के जन्मोत्सव के अवसर पर हम आपको उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख राममंदिरों का दर्शन करा रहे हैं।
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अयोध्याःवह स्थान जहां रामलला ने लिया जन्म
यह वही पवित्र पावन भूमि है जहां पर रामलला का जन्म हुआ था। यहीं पर रामलला ठुमक-ठुमक कर चलते थे और उनकी पाजनी बजती थी। शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म आज से 7128 वर्ष पूर्व अर्थात 5114 ईस्वी पूर्व को उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में हुआ था। हिन्दुओं के प्राचीन और 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक अयोध्या का राममंदिर है। महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने भी महाकाव्य रामायण में अयोध्या को सरयू नदी के तट पर बसी पवित्र नगरी बताया है। स्कंद पुराण में अयोध्या को ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर तीनों की ही पवित्र स्थली कहा गया है। पुराणों के अनुसार अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी है। अयोध्या देश के सभी पवित्र शहरों में से एक है।अथर्ववेद में अयोध्या शहर को देवताओं का स्वर्ग माना जाता है। प्रतिवर्ष रामनवमी के अवसर पर लाखों रामभक्त अयोध्या पहुंचते हैं हालांकि इस बार कोरोना महामारी की वजह से रामजन्मोत्सव को श्रद्धालु घरों से ही मनाएंगे।
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चित्रकूटः जहां कण-कण में बसे हैं राम
अपने वनवास के दौरान श्री राम यमुना नदी को पार कर चित्रकूट पहुंच गए। यहां के लगभग प्रत्येक स्थान पर राम की छाप है। चित्रकूट में राम अनुसूया के आश्रम में कई महीनों तक रहे थे। यहां ऐसे कई स्थल हैं, जो राम, लक्ष्मण और सीता के जीवन से जुड़े हुए हैं। यह पवित्र स्थल हिंदुओं के लिए अयोध्या से कम नहीं है। यहां पर रामघाट, जानकी कुंड, हनुमानधारा, गुप्त गोदावरी आदि ऐसे कई स्थल हैं। जहां पर दर्शन कर श्रद्धालु श्री राम के दर्शन कर खुद को तृप्त कर लेते हैं।
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वाराणसी का संकट मोचन मंदिर जहां हनुमान के बिना राम नहीं रहते
काशी का विश्व प्रसिद्ध हनुमान मंदिर संकट मोचन के नाम से विख्यात है। काशी प्रवास के दौरान रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने आराध्य हनुमान जी के कई मंदिरों की स्थापना की। उनके द्वारा स्थापित हनुमान मंदिरों में से एक संकटमोचन मंदिर भक्ति की शक्ति का अदभुत प्रमाण देता है। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को देखकर ऐसा आभास होता है जैसे साक्षात हनुमान जी व मर्यादा पुरूषोत्तम राम पंचायतन विराजमान हैं। बता दें कि जिस स्थान पर तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन हुए थे उसी जगह उन्होंने हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर संकटमोचन का नाम दिया। यह वही मंदिर है जहां विश्व प्रसिद्ध संकट मोचन संगीत समारोह का आयोजन होता है। इस संगीत समारोह की अपनी ख्याति है। दुनिया भर के संगीत प्रेमियों को इसका इंतजार रहता है। देश भर के कलाकार समारोह में हाजिरी लगाते हैं। यहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है।
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वाराणसी का रामरमापति बैंक जहां जमा है अरबों रामनाम धन
काशी अर्थात शिव की नगरी जहां शिव के आराध्य राम का एक अदभुत बैंक है। जिसका नाम रामरमापति बैंक है। इस अनोखे बैंक का रामनवमी के दिन अदभूत मंजर रहता है। काशी विश्वनाथ गली के त्रिपुरा भैरवी में राम बैंक स्थित हैं। ऐसी मान्यता है कि इस बैंक से कर्ज लेकर पूरा भरने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। भक्त यहां से सवा लाख रामनाम का कर्ज रामनवमी के अवसर पर लेते हैं फिर अगले रामनवमी पर सवा लाख राम नाम लिखकर यहां जमा कर देते हैं। इसके  लिए रामबैंक का मोहर लगा कागज, लकड़ी की कलम और लाल स्याही बैंक की तरफ से मुफ्त में दिया जाता है। बैंक के मैनेजर दास कृष्णचंद्र बताते हैं कि यह एक ऐसा बैंक हैजहां केवल राम का नाम जमा होता है। इसे जमा करने का उद्देश्य भी आर्थिक नहीं आध्यात्मिक लाभ कमाना है। वो भी कई गुना ज्यादा। इस बैंक में स्त्री हो या पुरुष, सभी लाभ उठाते हैं। यहां कोई भी आकर अपने दुख दूर करने के लिए 'राम नाम' का कर्ज ले सकता है।
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ओरछा जहां के आज भी शासक हैं राजा राम
झांसी से महज 16 किलोमीटर दूर ओरछा स्थित है। कभी बुंदेलखंड की राजधानी रह चुकी यह जगह आज छोटा सा शहर है। यहां का मुख्‍य आकर्षण है राजा राम मंदिर यह मंदिर चौकोर चबूतरे पर बना है। यह मंदिर ओरछा का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण मंदिर है। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है वह यहां पर शासन करते हैं। माना जाता है कि राजा मधुकर को भगवान राम ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपना एक मंदिर बनवाने को कहा। राजा ने श्रीराम के जन्मस्थल अयोध्या से उनकी मूर्ति मंगवाई और उसे मंदिर का निर्माण होने तक महल में रखवा दिया। बाद ने राम ने मूर्ति महल से न हटाने को निर्देश दिया। इस प्रकार महल को ही भगवान राम का मंदिर बना दिया गया। इसके अलावा यहां पर जहांगीर महल, राजा महल स्‍टैंड, परवीन महल, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्‍मी नारायण मंदिर और हनुमान मंदिर है।

 

 

 


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Ajay kumar

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