जिसे लोअर कोर्ट ने दी थी फांसी की सजा, उसे सुप्रीम कोर्ट ने दिया रिहा करने का आदेश... जेल के बाहर छोटकऊ को गले लगाकर रोई बूढ़ी मां

punjabkesari.in Saturday, Oct 08, 2022 - 02:46 PM (IST)

उत्तर प्रदेश: श्रावस्ती जिले से शुक्रवार को एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर लोग हैरान है। जिला जेल से जब एक बेगुनाह 10 साल बाद रिहा हुआ तो उसे लेने आई बूढ़ी मां के आंसू रुकने का नाम ले रहे थे। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 10 साल पहले हुए एक बच्ची के साथ रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सबूत के अभाव में आरोपी को रिहाई के आदेश दिए। तब तक युवक की जिन्दगी के 10 साल गुजर चुके थे।

10 साल पहले हुई थी गिरफ्तारी
बता दें कि श्रावस्ती जिले के रहने वाले युवक को 8  मार्च 2012 को ग्राम प्रधान पति ने 6 साल की बच्ची के रेप और हत्या के मामले में फंसा कर उसे गिरफ्तार करवा दिया। ग्राम प्रधान पति की नजर उसके मां के संपत्ति पर था। गरीबी की मार झेल रहे परिवार के पास अपने बच्चे के बचाव के लिए वकील करने तक के पैसे नहीं थे। तब सरकार ने आरोपी बनाए गए युवक को एमिकस क्यूरी उपलब्ध करवाया, लेकिन उसके बावजूद वो केस हार गया और 2014 में उसे फांसी की सजा हुई।

PunjabKesari

जिसे लोअर कोर्ट ने दी फांसी, उसे सुप्रीम कोर्ट ने पाया बेगुनाह 

6 साल की बच्ची के रेप और हत्या के आरोप में 2014 में लोअर कोर्ट ने युवक को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 376 (बलात्कार) के तहत दोषी ठहराया और फांसी की सजा दी। लोअर कोर्ट का फैसला आने के बाद युवक ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। जहां हाई कोर्ट ने भी लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। जिसके बाद युवक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां लंबी सुनवाई के बाद पिछले महीने के अंत में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने युवक को बेगुनाह पाया। अपनी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या भयानक थी, लेकिन बिना किसी ठोस सबूत के एक निर्दोष को आरोपी बना कर उसकी जिन्दगी के 10 साल खराब करना कहा तक उचित है। इसके बाद जजों की पीठ ने युवक की तत्काल रिहाई के आदेश दिए।

PunjabKesari

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार

मामले की सुनवाई करते हुए तीन जजों की पीठ ने पुलिस को फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि पुलिस आरोपी के खिलाफ सबूत का एक टुकड़ा भी पेश नहीं कर पाई। साथ ही पुलिस ने आरोपी का मेडिकल करवाना भी जरूरी नहीं समझा। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस ने जो गवाह कोर्ट में पेश किए, उनमें भी परस्पर विरोधाभास है। 100 गुनाहगार छूट जाए कोई बात नहीं लेकिन एक बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Imran

Related News

static