Teachers Day Special: पिछले 7 सालों से मलिन बस्ती के गरीब बच्चों को फ्री पढ़ा रहे विवेक दुबे, कई बच्चे कर चुके है विश्वविद्यालयों में टॉप

punjabkesari.in Monday, Sep 05, 2022 - 11:28 AM (IST)

प्रयागराजः आज शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपकी पहचान एक ऐसे शिक्षक से कराने जा रहे है, जो समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं। यह शिक्षक यूपी के प्रयागराज में रहने वाले विवेक दुबे है। जो पिछले 7 सालों से मलिन बस्ती में रहने वाले बच्चों को पढ़ाते हैं और उन बच्चों के सपनों को भी साकार करने में लगे हुए हैं। वह हर दिन 200 से अधिक बच्चों को वह शिक्षा दे रहे हैं।

 

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बता दें कि विवेक दुबे प्रयागराज के मुट्ठीगंज क्षेत्र के पुराने यमुना पुल के पास मलिन बस्ती मैं हर दिन जाकर के सभी उम्र के बच्चों को पढ़ाते हैं। विवेक बताते हैं कि 2015 में जब वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए तो रास्ते में उन्हें कचरा बीनने वाले बच्चे और दुकानों में काम करने वाले बच्चे दिखाई दिए। तभी से उन्होंने ठाना की वह इन बच्चों को जरूर शिक्षा देंगे। विवेक ने 6 बच्चों से शुरुआत की जिसके बाद आज हर दिन 200 से अधिक बच्चों को वह शिक्षा दे रहे हैं।

 

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कई बच्चे कर चुके है टॉप
विवेक बताते हैं कि कुछ बच्चों को उन्होंने शिक्षक भी बना दिया है। जैसे, जो बच्चे बड़ी क्लास में पढ़ते हैं वही बच्चे छोटी क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं। ऐसे में विवेक धीरे-धीरे  बच्चों को हर विषय की तालीम देते रहते हैं। खास बात यह है कि विवेक की 3 छात्राओं ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन में टॉप भी किया है। मलिन बस्ती की रहने वाली प्रीति इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा है और उन्होंने अपने ग्रेजुएशन में  90 फीसदी से अधिक अंक पाकर नाम रोशन किया है। प्रीति का कहना है कि 90 प्रतिशत अंक लाने का पूरा श्रेय विवेक सर का ही है क्योंकि पिछले 7 सालों से उन्हीं की शिक्षा के बदौलत उन्हें यह अंक हासिल हुए हैं इसी तरह रोशनी का भी कहना है कि उसने भी ग्रेजुएशन में 80 फ़ीसदी से अधिक अंक हासिल किए हैं और वह भी इसका पूरा श्रेय विवेक सर को दे रही हैं।

 

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शुरुआत में हुई थोड़ी समस्या
मलिन बस्ती में रहने वाले गरीब बच्चों की जिंदगी को संवारने वाले विवेक दुबे बताते हैं कि अधिकतर सभी बच्चों के माता पिता या तो कूड़ा बीनते हैं या फिर मजदूरी करके गुजारा करते हैं ऐसे में शुरुआती दिनों में थोड़ी समस्या का सामना तो जरूर करना पड़ा, लेकिन कुछ समय के बाद बच्चों के अभिभावकों को भी यह लगने लगा कि पढ़ाई कितनी जरूरी है ।

 

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गौरतलब है कि विवेक दुबे उन लोगों  के लिए मिसाल बन गए हैं जो यह सोचते हैं कि गरीब बच्चे पढ़ नहीं सकते हैं। विवेक सुबह खुद पढ़ाई करते हैं, उसके बाद दोपहर मे वह मलिन बस्ती जाकर के बच्चों को पढ़ाते हैं।


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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