''''दादी को बेहोश कर बुलाती थी बॉयफ्रेंड...'''' संत प्रेमानंद के सामने फूट-फूटकर रोई 18 साल की लड़की, महाराज ने दिया ऐसा जवाब चौंक गए सभी
punjabkesari.in Saturday, Jul 12, 2025 - 02:29 PM (IST)

UP Desk : वृंदावन में देश-विदेश से लोग प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन और उनके मार्गदर्शन के लिए आते हैं। हाल ही में यहां के शांत, पवित्र और आध्यात्मिक माहौल में एक ऐसा वाकया सामने आया, जिसने वहां मौजूद हर श्रद्धालु को हिलाकर रख दिया। यहां एक 18 साल की लड़की ने अपने जीवन की ऐसी कहानी सुनाई कि हर कोई दंग रह गया।
लड़की ने किया कड़वे सच का खुलासा
यह लड़की एक साधारण श्रद्धालु की तरह प्रेमानंद जी महाराज के पास नहीं आई थी, बल्कि उसने अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे राज खोले, जिन्हें सुनकर आश्रम में मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए। उसने बताया कि किस तरह नशा और गलत संगति ने उसकी सोच और जीवन दोनों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।
“मैं सिर्फ 18 की हूं, लेकिन सबकुछ बिगाड़ लिया”
लड़की ने रोते हुए बताया कि वह नशे की लत में फंसी हुई है। शराब, सिगरेट और बेकाबू व्यवहार उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुके थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि एक बार वह एक पुरुष को घर लाना चाहती थी और इसके लिए उसने अपनी दादी को नशे की दवा देकर सुला दिया था। लड़की ने कहा, "महाराज जी, मुझे नहीं पता मैं क्या बन गई हूं। मैंने बहुत गलतियां की हैं, लेकिन अब मैं सच में बदलना चाहती हूं।"
प्रेमानंद जी ने दिया आशा भरा जवाब
संत प्रेमानंद जी ने बड़ी स्पष्टता से कहा, "अगर तुम सच में बदलना चाहती हो तो यह पहला कदम है। लेकिन याद रखो जब तक तुम खुद को बदलने का फैसला नहीं करोगी तब तक दुनिया की कोई ताकत तुम्हें बदल नहीं सकती।"
उन्होंने उसे दो बातें मजबूती से समझाई:
-नशा और गलत संगति तुरंत छोड़ो।
-बीते कल पर मिट्टी डालो और आगे की सोचो।
'जैसे दादी को नशा दिया वैसे सुधरने की भी ताकत होगी'
जब लड़की ने कहा कि अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची है, तब प्रेमानंद जी ने कड़ा जवाब दिया, "तुममें हिम्मत नहीं है? तुमने शराब पी, सिगरेट पी, दादी को नशा दिया ये सब करने की ताकत तो थी। तो फिर सुधारने की ताकत भी तुम्हारे अंदर ही होगी। अगर इंसान अपने कर्मों की जिम्मेदारी से भागे तो ये बहुत बड़ी कमजोरी है।"
परिवार ने भी तोड़ा रिश्ता
लड़की का परिवार भी अब उसे अपनाने को तैयार नहीं था। माता-पिता ने उसे घर से निकालने की बात कही और उसकी बेदखली की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रेमानंद जी ने परिवार को समझाते हुए कहा, "जब कोई व्यक्ति सुधरने की कोशिश करता है तो समाज और परिवार को उसे सहारा देना चाहिए। अगर आप आज उसे बाहर निकाल देंगे, तो वह और नीचे गिर जाएगी। उसे परेशान मत करो, एक मौका दो, वरना उसकी दुर्गति तय है।"