श्रृंगवेरपुर घाट पर लगा लाशों का अंबार, लकडियों की कालाबाजारी के चलते लोग दफना रहे शव
punjabkesari.in Monday, May 17, 2021 - 11:44 AM (IST)
प्रयागराजः कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उससे होने वाली मौतों से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है।कानपुर आगरा के बाद प्रयागराज के श्रृंगवेरपुरधाम में गंगा नदी के किनारे दफनाए हुए शवों का अंबार दिखाई दे रहा है। कई शव जल रहे हैं और चिताओं के बाद गंदगी का अंबार दिखाई दे रहा है। ऐसे में श्रृंगवेरपुर में दाह संस्कार करने के लिए अगल-बगल के जिलों से भी लोग शव को लेकर आते हैं।
लोगों का कहना है कि लकड़ियों की कालाबाजारी भी हो रही है, यहां पर लोग लकड़ियों के लिए ज्यादा पैसा लेते हैं। कई ऐसे लोग भी हैं जो शवों के साथ घर से ही लकड़िया लेकर आते हैं, इन लोगों का यह भी कहना है कि यहां पर आने पर एक शव का दाह संस्कार करने के लिए दस हजार रुपए तक ट्रैवल चार्ज और यहां शव का दाह-संस्कार करने तक कम से कम 20,000 खर्च होता है, जो कि एक गरीब परिवार के लिए यह खर्च उठाना बहुत ही मुश्किल है। ऐसे में सरकार को इस पर कड़े नियम कड़ाई से पालन कराने की आवश्यकता है, जिससे लोगों को अपने परिवार के लोगों का दाह संस्कार कराने में आसानी हो।
साथ ही प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम में पहले कभी इतने अधिक मात्रा में शवों को दफनाया हुआ नहीं देखा गया है, लेकिन इस कोरोना काल में गंगा नदी के किनारे भारी संख्या में आपको शव ही शव दिखाई देंगे, लेकिन इन शवों में अभी इस बात स्पष्ट नहीं हुई है कि जितने दफनाए हुए शव है, यहां पर उसमें कितने कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के शव है और कितने साधारण मौतों की वजह से दफनाए गए, लेकिन इतनी भारी संख्या में शव को देखकर यह लगता है कि कानपुर आगरा के बाद प्रयागराज में नदी के किनारे शवों का अंबार लगा हुआ है।
ऐसे में सरकार को भी यहां ठोस कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण सरकार ने भी 24 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया है और बारिश का मौसम भी नजदीक है। बारिश के मौसम में नदी के इर्द-गिर्द भारी बाढ़ आ जाती है और बाढ़ आने की स्थिति में यहां पर दफनाया हुए शव नदी के ऊपर आ जाएंगे जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है, जो एक बड़े खतरे का संकेत है। ऐसे में सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और इस पर कोई ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए जिससे आने वाले खतरे से लोग सुरक्षित रह सकें।