खतरे में गंगा का अस्तित्व: रेत के मैदान में तब्दील हुआ संगम क्षेत्र, जगह-जगह नजर आ रहे टापू
punjabkesari.in Sunday, Apr 04, 2021 - 05:39 PM (IST)
प्रयागराज: माघ मेले के बाद गंगा का अस्तित्व खतरे में नजर आने लगा है। अभी अप्रैल महीने की ही शुरुआत हुई है लेकिन गंगा की जो तस्वीर देखने को मिल रही है वह बेहद दयनीय है। जिस जगह देश और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माघ मेला लगा हुआ था आज उस क्षेत्र में गंगा का अस्तित्व खत्म होता दिख रहा है संगम क्षेत्र में जगह-जगह अभी से ही टापू बन गए हैं और पूरा क्षेत्र रेत के मैदान में तब्दील होता नजर आ रहा है। गंगा नदी भी सुकूड़ कर रह गई है।
ऐसी तस्वीर मई के आखिरी दिनों में देखने को मिलती है: स्थानीय
जहां कुछ दिन पहले लोग आस्था की डुबकी लगाते थे वहां पर मोटरसाइकिल चलते हुए नजर आ रही है। वहीं स्थानीय लोगों की माने तो, ऐसी तस्वीर मई के आखिरी दिनों में देखने को मिलती है लेकिन अप्रैल महीने के शुरुआती दिनों में ही ऐसी तस्वीर देखना आश्चर्यचकित करने वाली है। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा दिक्कतें मवेशियों को आती हैं, तट के किनारे रहने वाले लोग को आती है, दूर दराज से संगम में स्नान करने के लिए आ रहे श्रद्धालुओं को आती है। लोगों का यह भी कहना है कि माघ मेले के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी मौजूद था लेकिन जैसे ही माघ मेला खत्म हुआ गंगा विलुप्त होती नजर आ रही है। ऐसी स्थिति में सरकार को जल्द से जल्द बांध से पानी छोड़ना चाहिए ताकि गंगा के अस्तित्व को बचाया जा सके।
मार्च के महीने में ही गर्मी के रौद्र रूप का असर
गौरतलब है कि मार्च के महीने में ही गर्मी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया था ऐसे में इसका असर गंगा पर भी दिख रहा है। वहीं जब हमारी टीम (पंजाब केसरी) संगम क्षेत्र पहुंची तो पानी की स्थिति देख करके दंग रह गई। संगम छेत्र में अभी से अस्थाई पार्टून पुल के नीचे गंगा नदी विलुप्त होती नजर आई, हर जगह रेत का मैदान ही देखने को मिल रहा है।
वहीं हमारे संवददाता सैयद आकिब रज़ा ने संगम क्षेत्र का जायजा लिया और राजस्थान-आगरा से आए श्रद्धालु से गंगा के अस्तित्व को लेकर बातचीत की। जिस पर श्रद्धालुओं ने चिंता जाहिर करते हुए बांध से पानी छोड़ने की सरकार से मांग की है। जिससे गंगा मां के अस्तित्व को बचाया जा सके और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या न हो।