CJI पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील का लाइसेंस रद्द, BCI ने लिया सख्त फैसला; अब कहीं भी नहीं कर पाएंगे वकालत
punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 01:12 AM (IST)

UP Desk: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। अब किशोर भारत के किसी भी न्यायालय, ट्रिब्यूनल या अधिकरण में पेश नहीं हो सकेंगे, न ही वकालत या पैरवी कर सकेंगे। BCI ने साफ किया है कि यह अनुशासनात्मक प्रक्रिया की शुरुआत है और किशोर को 15 दिन के भीतर कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) भेजा जाएगा। जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई और अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
CJI ने दी नरमी, कहा- इग्नोर करें घटना
घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट में हलचल जरूर मची, लेकिन CJI जस्टिस बी. आर. गवई ने मामले को तूल न देने की बात कही। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, CJI ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री और सुरक्षा अधिकारियों से कहा कि इस घटना को "उपेक्षित" (Ignore) किया जाए। हालांकि, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें CJI, सेक्रेटरी जनरल और सिक्योरिटी इंचार्ज समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सतर्कता बढ़ाने पर जोर दिया गया।
दिल्ली पुलिस ने छोड़ा, लेकिन BCI सख्त
घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने राकेश किशोर को हिरासत में लेकर छोड़ दिया, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सख्ती बरती। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) को दो दिन में इस पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: सोनिया गांधी की तीखी निंदा
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि, “CJI पर सुप्रीम कोर्ट के भीतर हमला केवल व्यक्ति नहीं, संविधान पर हमला है। पूरे देश को इस कृत्य की घोर निंदा करनी चाहिए। जस्टिस गवई ने जिस तरह से संयम दिखाया, वह प्रशंसनीय है।”
वकील ने क्या कहा था?
घटना के दौरान वकील राकेश किशोर ने कोर्ट में चीखते हुए कहा, “भारत सनातन धर्म के अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा।” उसने बाद में स्वीकार किया कि उसका निशाना CJI थे और न्यायाधीश चंद्रन से माफी भी मांगी।
मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
यह पूरा विवाद उस समय भड़का, जब CJI गवई ने मध्य प्रदेश के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के पुनर्स्थापन से जुड़ी याचिका को खारिज करते हुए कहा था, “अब खुद देवता से पूछो... आप सच्चे भक्त हैं तो जाकर प्रार्थना करो।” इस टिप्पणी को लेकर धार्मिक भावनाएं आहत होने का आरोप लगा और प्रतिक्रिया स्वरूप यह घटना सामने आई।