राम मंदिर को लेकर कोर्ट में फिर चलेगा मुकदमा?... पूर्व CJI चंद्रचूड़ के बयान से मचा राजनीतिक और कानूनी घमासान, फैसले पर पुनर्विचार की मांग

punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 10:58 PM (IST)

Ayodhya News: अयोध्या में श्रीराम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के वर्षों बाद एक बार फिर इस मामले पर कानूनी बहस छिड़ गई है। विवाद की जड़ में हैं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की एक हालिया टिप्पणी, जिसमें उन्होंने कहा कि "जहां पहले से मस्जिद हो, वहां मस्जिद बनाना अपवित्र था।" यह बयान चंद्रचूड़ ने एक इंटरव्यू के दौरान दिया, जो अब कानूनी और राजनीतिक हलकों में गूंज बन चुका है। कई विशेषज्ञ इस बयान को सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले से अलग मान रहे हैं।

पूर्व CJI के बयान पर मोहन गोपाल का पलटवार
प्रोफेसर जी. मोहन गोपाल, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील रह चुके हैं, ने चंद्रचूड़ के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी कोर्ट के लिखित फैसले से मेल नहीं खाती, और इसे आधार बनाकर क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की जा सकती है। उनका तर्क है कि जब कोई जज अपने फैसले से इतर सार्वजनिक रूप से कोई मत रखे, तो वह पुनर्विचार की कानूनी जमीन बन सकता है।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ, जिसमें तत्कालीन CJI रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल थे, ने अपने फैसले में कहा था कि मुस्लिम पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि विवादित स्थल पर उनका निर्बाध मालिकाना हक रहा है। इसी आधार पर राम मंदिर के पक्ष में बहुमत से फैसला दिया गया। इस निर्णय के बाद अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, जो अब लगभग पूरा हो चुका है।

चंद्रचूड़ की सफाई: "बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया"
विवाद बढ़ने के बाद पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सफाई दी कि उनकी बात को गलत संदर्भ में पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर फैसला साक्ष्यों और कानून के आधार पर दिया गया था, न कि आस्था पर। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई भावना व्यक्त नहीं की, बल्कि उन्होंने केवल ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बात की थी।


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Content Editor

Mamta Yadav

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