‘घरौंदा’ आश्रम की तीन मासूम बच्चियां होंगी विदेश रवाना, मिलने जा रहा है नया परिवार और नई जिंदगी

punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 06:11 PM (IST)

गाजियाबाद: कहते हैं ऊपर वाले ने जब किसी को अगर जीव या मनुष्य को धरती पर जन्म दिया है तो दाना पानी का इंतजाम पहले ही कर दिया है लेकिन बहुत ही बदनसीब होते हैं ऐसे बच्चे जो तुरंत जन्म लेने के बाद अपने मां-बाप को परिवार के प्यार से वंचित रह जाते हैं। ऐसे ही बच्चों का ध्यान रखती है घरोंधा। लेकिन पंजाब केसरी की टीम आज जब एक घरोंधा में पहुंची तो उसको घरोंधा देख असली मतलब मालूम चला। 

पंजाब किसी के संवाददाता संजय मित्तल ने आज हम आपको ऐसी तीन मासूम बच्चों के बारे में भी बता रहे हैं जो तो अनाथ हो गई थी लेकिन अब वह विदेश जाने की तैयारी में  घरोंधा संस्थान गाज़ियाबाद के घरौंदा बालगृह की तीन नन्हीं बच्चियाँ जल्द ही अपनी नई ज़िंदगी की दहलीज़ पर कदम रखेंगी।

विदेशी दंपति ने संतान के लिए किया था अवोदन 
मॉरीशस और न्यू जर्सी में रहने वाले दो विदेशी दंपति जिनमें कोई संतान नहीं थी इसलिए इन्होंने इन बच्चियों को गोद लेने के लिए पहल की और इस मे जिन्होंने छह साल पहले बच्चियों को गोद लेने का आवेदन किया था अब इंतज़ार के आख़िरी पड़ाव पर हैं। वर्षों से इन परिवारों के घरों में जिस किलकारी की आवाज़ का इंतज़ार था वह अब साकार होने वाली है। लावारिस हाल में मिली दो बहनों और अस्पताल के बाहर छोड़ी गई एक नवजात बच्ची को अब सुरक्षित, प्यार भरा परिवार मिलने जा रहा है जहाँ उन्हें नई शुरुआत और उज्ज्वल भविष्य हासिल होगा।

लगभग छह वर्ष में पूरी हुई प्रकिया 
गोद लेने की प्रक्रिया की शुरुआत दोनों दंपतियों ने लगभग छह वर्ष पहले की थी जब उन्होंने भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत CARA (Central Adoption Resource Authority) की वेबसाइट पर बच्चियों को गोद लेने के लिए आवेदन किया। विदेशी दंपति यह आवेदन अपनी अधिकृत विदेशी एजेंसी AAFA के माध्यम से भेजते हैं। यह प्रक्रिया विस्तृत होती है जिसमें दंपति की होम स्टडी, बच्चियों की रिपोर्ट निगरानी, स्वास्थ्य मूल्यांकन और सामाजिक अध्ययन शामिल रहता है। सभी चरणों को पूरा करने में ही वर्षों का समय लग जाता है।

रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली थी बच्चियां
भरतपुरिया शिक्षा समिति द्वारा संचालित घरौंदा बालगृह के डायरेक्टर ओमकार सिंह के अनुसार दो विदेशी दंपतियों ने बच्चियों के लिए आवेदन किया है। इनमें से दो बच्चियाँ सगी बहनें हैं जिन्हें न्यू जर्सी के दंपति गोद लेना चाहते हैं। दोनों बच्चियाँ डेढ़ साल पहले पुलिस को रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली थीं। बड़ी बहन लगभग चार वर्ष की थी और छोटी करीब दो वर्ष की। प्रशासन ने उनके माता-पिता को खोजने के लिए भरसक प्रयास किए लेकिन कोई जानकारी न मिलने पर उन्हें बालगृह में सुरक्षित रखा गया।

 अस्पताल के बाहर में बच्ची को छोड़ कर गई थी महिला 
तीसरी बच्ची बच्ची जो की मात्रा 2 साल की है इस बच्ची को इसकी मां एक अस्पताल के बाहर में छोड़ गई थी लेकिन जब से यह घरौंधा संस्थान में आई है तो इसकी अब जिंदगी संवर गई है  जिसे मॉरीशस के दंपति गोद लेने जा रहे हैं की कहानी और भी संवेदनशील है। यह बच्ची जून 2024 में नोएडा के एक अस्पताल के बाहर महज 25 दिनों की उम्र में मिली थी। किसी ने उसे जन्म के कुछ ही दिनों बाद अस्पताल के गेट पर छोड़ दिया था। काफी प्रयासों के बाद भी उसके परिजनों का कोई पता न चल सका और बच्ची को घरौंदा आश्रम में भेजा गया।

काउंसलिंग के बाद होती पूरी होती है गोद लेने के प्रकिया 
बच्चियों को नए परिवार में भेजने से पहले आश्रम उनकी काउंसलिंग करता है ताकि वे अपने अतीत और आने वाले बदलाव को समझ सकें। उन्हें सहज भाषा में बताया जाता है कि वे कहाँ मिली थीं कैसे आश्रम में लाई गईं और अब उनके नए माता-पिता कौन हैं। दंपतियों और बच्चियों के बीच रिश्ता मजबूत करने के लिए नियमित वीडियो कॉल कराई जाती हैं। इससे बच्चियाँ धीरे-धीरे नए परिवार के प्रति अपनापन महसूस करने लगती हैं।

जागरूकता से लोगों की बदली सोच 
घरौंदा आश्रम अब तक कई बच्चों को देश और विदेश के परिवारों के हवाले कर चुका है। आश्रम प्रशासन का कहना है कि पहले समाज में गोद लेने को लेकर हिचक होती थी लेकिन अब लोग आगे आ रहे हैं। जागरूकता बढ़ी है सोच बदली है और आज भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी परिवार भी बच्चों को गोद लेने के लिए सक्रिय रूप से आवेदन कर रहे हैं। ओमकार सिंह कहते हैं गोद लेने की प्रक्रिया लंबी नहीं होती बल्कि बच्चों की उम्र छोटी होने के कारण प्रतीक्षा लंबी हो जाती है। हमें सबसे ज्यादा सुख तब मिलता है जब हम किसी बच्चे को ऐसे परिवार के हवाले करते हैं जहाँ उसे प्यार, सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य मिल सके।

गाजियाबाद अपर जिला अधिकारी ज्योति मौर्य प्रशासन ने बताया कि cwc होती है जिस किसी को गोद लेना होता है वह इसमें आवेदन करती है और फिर कोर्ट में मामला जाता है पूरी तरीके से गोद लेने वाले परिवार की जांच पड़ताल करता है चाहे वह भारतीय हो या विदेशी परिवार लेकिन यह जो तीन बच्चियों विदेश जा रही हैं उनके विदेश जाने के लिए जल्द से जल्द इसकी जल्दी. कानूनी कर्यावही की जा रही है।


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Content Writer

Ramkesh

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