योगी कैबिनेट का बड़ा फैसला- UP में बिना ''अनुबंध'' के किराएदार नहीं रख सकेंगे मकान मालिक

punjabkesari.in Tuesday, Apr 06, 2021 - 01:43 PM (IST)

लखनऊ: योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन (द्वितीय) अध्यादेश 2021 को प्रतिस्थापित कराए जाने का निर्णय लिया है। इससे किरायेदारी के विवाद कम होंगे तथा पुराने प्रकरणों में किराया पुनरीक्षण किया जा सकेगा। अध्यादेश प्रख्यापित होने के उपरान्त सभी किरायेदारी अनुबन्ध के आधार पर होगी। इससे मकान मालिक व किरायेदार, दोनों के हित का संरक्षण होगा। किसी विवाद की स्थिति में विवाद के निपटारे के लिये रेन्ट अथॉरिटी एवं रेन्ट ट्रिब्युनल का प्राविधान इस अध्यादेश में किया गया है। रेन्ट अथॉरिटी एवं रेन्ट ट्रिब्युनल सामान्यत: 60 दिनों में वादों का निस्तारण करेंगे।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में स्थित कतिपय वर्गों के भवनों को किराये पर देने और उनके किराये तथा उनसे किरायेदारों की बेदखली को, सामान्य जनता के हित में विनियमित करने तथा सम्बद्ध विषयों की व्यवस्था करने के लिए उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराये तथा बेदखली का विनियमन) अधिनियम 1972 अधिनियमित है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत भवन स्वामी तथा किरायेदार के बीच उत्पन्न विवादों के निस्तारण में कठिनाई उत्पन्न हो रही थी तथा अधिक संख्या में वाद भी न्यायालय में लम्बित थे।

वर्तमान किरायेदारी तथा भविष्य की किरायेदारी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में वर्तमान में लागू उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराये तथा बेदखली का विनियमन) अधिनियम 1972 को निरसित करते हुए उसके स्थान पर एक नयी विधि बनाए जाने पर विनिश्चय किया गया था। इस विनिश्चय को तुरन्त कार्यान्वित करने के लिए राज्यपाल द्वारा नौ जनवरी को उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अध्यादेश, 2021 प्रख्यापित किया गया था। इसे विधायी विभाग द्वारा 09 जनवरी, 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित असाधारण गजट में प्रकाशित कराया गया था। 


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Content Writer

Umakant yadav

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