मंदिर का अनोखा प्रसाद: मुर्गी का कच्चा अंडा चढ़ाने से मिलता है संतान सुख! UP के इस मंदिर में है एक रहस्यमयी परंपरा
punjabkesari.in Tuesday, Apr 22, 2025 - 08:31 AM (IST)

Firozabad News: उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के बिलहना गांव में स्थित बाबा नगर सेन मंदिर अपनी विशेष पूजा और अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। आमतौर पर मंदिरों में लहसुन और प्याज को वर्जित माना जाता है, लेकिन इस मंदिर में मुर्गी के कच्चे अंडे चढ़ाने की परंपरा है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा अनुभव है।
मंदिर में संतान प्राप्ति की मन्नतें
मिली जानकारी के मुताबिक, यहां विशेष रूप से बच्चे के स्वास्थ्य, सुरक्षा और संतान प्राप्ति की मन्नतें लेकर भक्त आते हैं। मंदिर में पूड़ी-हलवा के साथ-साथ मन्नत पूरी होने पर मुर्गी के कच्चे अंडों का भोग चढ़ाना यहां की विशेष परंपरा बन गई है। इस अजीबोगरीब पूजा से भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है, जो संतान सुख की कामना करते हैं।
वैशाख महीने में 3 दिन का मेला
हर साल वैशाख माह में यहां तीन दिवसीय भव्य मेला लगता है, जिसमें दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। इस मेले में आस्था का संगम देखने को मिलता है, और यह आयोजन मंदिर को और भी खास बना देता है। श्रद्धालु इस मौके पर अपने परिवार की भलाई और संतान सुख के लिए बाबा नगर सेन से आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
महिलाओं की आस्था और मन्नतें
मंदिर के पुजारी जगन्नाथ दिवाकर के अनुसार, यहां विशेष रूप से महिलाएं अपने बच्चों की सेहत और सुरक्षा के लिए बाबा के दरबार में हाजिरी लगाती हैं। कहा जाता है कि बच्चों को दस्त जैसी बीमारियों से मुक्ति दिलाने की मान्यता यहां है। इसके अलावा, जिन महिलाओं को संतान नहीं होती, वे बाबा नगर सेन से संतान सुख की मन्नत मांगने आती हैं और मन्नत पूरी होने पर विशेष भोग चढ़ाती हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था
स्थानीय निवासी आशीष वर्मा बताते हैं कि यहां अंडा फोड़कर प्रसाद चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है, जो उनके पूर्वजों से चली आ रही है। वहीं, सूरज नामक श्रद्धालु कहते हैं कि इस मंदिर में आकर उनकी आस्था और विश्वास और भी मजबूत हुआ है। वे अपने बच्चों के लिए यहां हर साल आते हैं और यहां के भोग को चढ़ाते हैं।
जानिए, क्या कहना है मंदिर के मुख्य पुजारी जगन्नाथ दिवाकर का?
इस मंदिर के मुख्य पुजारी जगन्नाथ दिवाकर के मुताबिक, बाबा नगर सेन मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह मंदिर उनके और उनके पूर्वजों के समय से श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहां साल दर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है और हजारों की मनोकामनाएं पूरी हो रही हैं।