पिता का साया उठा...जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा बचपन, 10 साल की मासूम ठेला लगाकर चला रही परिवार
punjabkesari.in Friday, Nov 11, 2022 - 06:24 PM (IST)

शाहजहांपुर: बचपन जिंदगी वो बेहतरीन हिस्सा है, जिसमें हम जी भर कर जिंदगी जीते हैं, लेकिन कुछ लोगों बचपन छोटी उम्र में आई जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाता है। इसकी एक बानगी शाहजहांपुर में देखने को मिली है। जहां 10 साल की चाहत पिता की मौत के बाद अपनी विधवा मां और बहनों का सहारा भी बनी है। मासूम चाहत ने जिम्मेदारियों का बोझ उठाते हुए ठेली लगाकर परिवार का भरण पोषण करने का काम शुरु किया।
दरअसल, ये मामला शाहजहांपुर जिले में जलालाबाद कस्बे के मोहल्ला गांधी नगर इलाके का है। जहां की रहने वाली 10 साल की चाहत के पिता मेवाराम की लगभग 10 साल पहले मौत हो गई थी। वहीं,पति की मौत के बाद चाहत की मां सीता को बुरी तरह झकझोर दिया। क्योंकि मेवाराम से सीता को कोई बेटा नहीं हुआ। बल्कि 4 बेटियां थी। शायद इसी कारणवश सीता बुरी तरह से टूट चुकी थी। मेवाराम की मौत के समय सीता गर्भवती थी और उसे आस थी कि उसे बेटा होगा। किंतु कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। मगर, पांचवी संतान के रूप में पति की मौत के 10 दिन बाद मासूम चाहत का जन्म हुआ। मां सीता कस्बे के कारखानों में छिलके बीन कर अपनी बेटियों का पालन पोषण करने लगी।
चाहत जब 6 साल की थी। उसी दौरान उसने कस्बे के तिराहे पर ठेली लगाकर भुने आलू बेचना शुरू कर दिया। आखिरकार चाहत की मेहनत रंग लाई और चाहत ने अपनी मेहनत के बलबूते पर अपनी दो बहनों प्रियंका व शिखा की सामर्थ्य के अनुसार मां के साथ मिलकर शादी की और दान दहेज भी दिया। चाहत का कहना है कि बहनों की शादी हो जाए अब चाहत का यही सपना है।