Shahjahanpur News: जिलाधिकारी ने किया ‘शाहजहांपुर के इतिहास 1857’ पुस्तक का विमोचन

punjabkesari.in Thursday, Aug 10, 2023 - 01:04 AM (IST)

Shahjahanpur News, (नन्दलाल): उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में बुधवार को काकोरी ट्रेन एक्शन तथा भारत छोड़ो दिवस की जयंती पर जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह  द्वारा कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के इतिहास पर डॉ विकास खुराना द्वारा लिखी गई पुस्तक अट्ठराह सौ सत्तावन का विमोचन किया गया।
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जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह  ने कहा कि शाहजहांपुर ऐतिहासिक गौरव प्राप्त जिला है किंतु समय के प्रवाह में इसका गौरव विस्मृत सा होता जा रहा है। जनपद के संदर्भ में इतिहास का लेखन अतीत के खोए हुए गौरव को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। अनेक तथ्य शाहजहांपुर को विशेष बनाते हैं जिनमे आजादी की लड़ाई में जिले का योगदान प्रमुख है। अठारह सौ सत्तावन में भारत में पहली बार अंग्रेजों की जुल्मी हुकूमत को खत्म करने के लिए पूरे देश में क्रांति घटित हुई थी। शाहजहांपुर ने आगे बढ़कर इस क्रांति का सफल नेतृत्व किया था। नाना साहब, मौलवी अहमद उल्लाह शाह जैसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को धार देते रहे। जब पूरे देश में क्रांति का शमन हो गया तब भी शाहजहांपुर में यह विरोध जारी रहा। 
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पीसीएस में चयनित अधिकारी विशाल पांडे ने कहा कि पिछली तीन चार सौ वर्षों में  जनपद के इतिहास पर मात्र कुछ ही पुस्तकें लिखी गई, उनमें से प्राप्त केवल तीन अथवा चार ही है। यद्यपि जिले के संदर्भ में अध्ययन तथा यहां भ्रमण में आने वाले विदेशियों के लेखन, सरकारी रिकार्ड्स यत्र-यत्र बिखरे पड़े है। प्रस्तुत पुस्तक अठारह सौ सत्तावन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। तकरीबन तैतीस वर्षों के बाद जिले के इतिहास पर कई पुस्तक लिखी गई है। यह क्रम आगे भी जारी रखे जाने की जरूरत है। सभी पुस्तक के लेखक डा विकास खुराना को बधाई दी।

शाहजहांपुर का अतीत गौरवशाली रहा है
अठारह सौ सत्तावन पुस्तक के लेखक डा विकास खुराना ने बताया कि शाहजहांपुर का अतीत गौरवशाली रहा है। स्वाधीनता की लड़ाई में जिले ने दो बार राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया था। इनमे से एक अवसर अठारह सौ सत्तावन था जब मुगल बादशाह के भतीजे, कमांडर जनरल बखत खान, नाना साहिब, मौलवी अहमद उल्लाह शाह इत्यादि सभी शाहजहांपुर आकर देश में उठी पहली जंगे आजादी को धार दे रहे थे। काकोरी शहीदों से लेकर नेता जी सुभाषचंद बोस की इंडियन आर्मी में जिले के अनेक युवा शामिल रहे, किंतु अब नई पीढ़ी यह इतिहास भूलती जा रही है। इसकी एक वजह जिले के इतिहास पर किताबों और लेखकों की कमी है। लिहाजा इसी उद्देश्य से कि नई पीढ़ी को अपने जिले के समृद्ध इतिहास से परिचय कराया जाए इतिहास पर दस खंड लिखे जाने की योजना है, जिसका पहला खंड 1857 का आज विमोचन किया गया। पुस्तक में इस वर्ष जिले में घटी सभी घटनाओं का संकलन हिंदी भाषा में किया गया है। इसमें तत्कालीन सरकारी रिकार्ड्स, रिपोर्ट्स, टेलीग्राम इत्यादि को आधार बनाया गया है ताकि तत्कालीन परिस्थितियों को आसानी से समझा जा सके।

 


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Content Writer

Mamta Yadav

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