HC का बड़ा आदेश: फर्रुखाबाद की SP आरती सिंह को हिरासत में लेने का निर्देश, , याचिकाकर्ता को धमकाने का आरोप

punjabkesari.in Tuesday, Oct 14, 2025 - 09:42 PM (IST)

Prayagraj News:  उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन एक बार फिर विवादों में घिर गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक (SP) आरती सिंह को तत्काल हिरासत में लेने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने यह आदेश एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि एसपी आरती सिंह ने याचिकाकर्ता पर दबाव बनाया कि वह अपना केस वापस ले ले। याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से एसपी से मिलकर धमकाया गया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप की आशंका प्रकट हुई। अदालत ने इन आरोपों को प्रथम दृष्टया गंभीर मानते हुए तुरंत हिरासत का आदेश जारी किया।

क्या है पूरा मामला?
मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है, जिसने दावा किया कि उसका कोई करीबी —
भवतः पत्नी, बहन या बच्चा — अवैध हिरासत में है या प्रशासनिक दबाव में लापता हो गया है। आमतौर पर ऐसे मामलों में अदालत पुलिस से जवाब तलब करती है, लेकिन इस केस ने उस समय नया मोड़ ले लिया जब याचिकाकर्ता ने खुद को धमकाने का आरोप लगाया।

अदालत की तीखी टिप्पणी
न्यायमूर्ति मुनीर ने कहा कि यदि कोई वरिष्ठ अधिकारी न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप करता है, तो यह अत्यंत गंभीर विषय है। उन्होंने राज्य सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि क्या आरोपों की पुष्टि होती है, और क्या एसपी के खिलाफ विभागीय जांच या कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

प्रशासन में मचा हड़कंप
अदालत के आदेश के बाद लखनऊ से लेकर फर्रुखाबाद तक प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। 2017 बैच की आईपीएस अधिकारी आरती सिंह अब तक एक कुशल और अनुशासित अधिकारी के रूप में जानी जाती रही हैं। उनके नेतृत्व में फर्रुखाबाद में अपराध नियंत्रण और महिला सुरक्षा के क्षेत्र में कई पहलें की गई थीं। हालांकि, मौजूदा आदेश ने उनके करियर को संकट में डाल दिया है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय और डीजीपी मुख्यालय में आपात बैठकों का दौर जारी है।

प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल
यह मामला न केवल एक अधिकारी विशेष के आचरण पर सवाल उठाता है, बल्कि प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस की जवाबदेही को लेकर भी नई बहस छेड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां उच्चाधिकारियों पर दबाव डालने और मामलों को दबाने के आरोप लगे हैं। हाईकोर्ट की यह सख्ती पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है।


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Content Editor

Mamta Yadav

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