हौसलों की उड़ान: कोरोना में पति की छिनी रोजी-रोटी, नारी सशक्तिकरण की मिसाल बनी पत्नी

punjabkesari.in Friday, Oct 23, 2020 - 01:36 PM (IST)

बागपत: कहते हैं कि हौसलों में अगर जान हो तो मुश्किलें घुटने टेक देती है। जी हां इस कहावत को बागपत की मुनेश ने सच कर दिखाया है। सूप गांव का रहने वाला  जसवीर  मेहनत मजदूरी कर के अपने छह बच्चों का पेट किसी तरह पाल रहा था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते जसबीर को घर बैठना पड़ा तो परिवार के सामने रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में जसबीर की पत्नी मुनेश ने अपने पति जसबीर से कहा कि घर चलाने के लिए वह भी कुछ काम करेगी और मुनेश ने काम की तलाश शुरू कर दी।

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इरादे की पक्की मुनेश ने गन्ना कोल्हू लगाने का फैसला किया और अपने पति के साथ साधन और स्थान की तलाश में लग गई। मुनेश ने बागपत के कासिमपुर खेड़ी में गन्ने का कोल्हू लगाया और गुड़ बनाना शुरू किया। शुरुआत में तो मुनेश को पेराई के लिए गन्ना नहीं मिला लेकिन जैसे-जैसे किसानों को पता चला तो किसान मुनेश के कोल्हू पर गन्ना लेकर पहुंचने लगे और बस मुनेश का काम चल निकला। आज मुनेश का बनाया गुड़ बाजार में हाथों हाथ बिक रहा है।

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बता दें कि किताबी ज्ञान से अछूती मुनेश कोल्हू का ज्यादातर काम खुद ही सम्भालती हैं, गन्ना पेराई हो या झोंकने का काम हो मुनेश खुद ही करती हैं। रस पकने पर गुड़ की पेड़ियाँ भी मुनेश खुद ही तैयार करती हैं और गुड़ को मंडी में बेचने भी मुनेश खुद ही जाती हैं। अलबत्ता पति जसबीर सहित पूरा परिवार मुनेश के कामों में हाथ बंटाता है।

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इससे यह स्पष्ट होता है कि नारी सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल मुनेश उन बहुत सी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है जो कुछ करने का हौसला रखती हैं।


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Umakant yadav

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