हाईकोर्ट ने चचेरे भाई की फांसी बदल दी उम्रकैद में, पांच महीने की बहन के साथ किया था दिल दहला देने वाला अपराध
punjabkesari.in Thursday, Nov 20, 2025 - 08:27 AM (IST)
Lucknow News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक बेहद संवेदनशील और दिल दहला देने वाले मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। पांच महीने की चचेरी बहन के साथ दुष्कर्म और हत्या के दोषी प्रेमचंद उर्फ पप्पू दीक्षित की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोषी जिंदगी भर जेल में रहेगा और उसे समय से पहले रिहाई या कोई रियायत नहीं मिलेगी।
मामले का पूरा विवरण
यह घटना फरवरी 2020 की है। लखनऊ के मड़ियांव क्षेत्र में एक शादी समारोह के दौरान यह हादसा हुआ। आरोपी पप्पू दीक्षित, जो पीड़िता का चचेरा भाई था, ने 16 फरवरी 2020 को बच्ची को खिलाने-पिलाने के बहाने उसकी मां की गोद से लिया। कुछ ही समय बाद बच्ची का शव पास की झाड़ियों में नग्न अवस्था में मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ बलात्कार और गंभीर चोटों की पुष्टि हुई, जिससे उसकी मौत हुई।
ट्रायल कोर्ट का फैसला
घटना स्थल से मिले सबूतों में शर्ट का बटन और सिर के तीन बाल शामिल थे। फॉरेंसिक जांच में ये सबूत बच्ची के शरीर से मिले नमूनों से मेल खाए। मड़ियांव थाने में 17 फरवरी 2020 को मुकदमा दर्ज किया गया। ट्रायल कोर्ट ने 30 सितंबर 2021 को पप्पू दीक्षित को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट का फैसला और तर्क
दोषी की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपराध की जघन्यता को स्वीकार किया। हालांकि, कोर्ट ने फांसी को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में नहीं माना।
तर्क:
-आरोपी का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
-उसके पास 3-4 साल का छोटा बच्चा है।
-अपराध पूर्व नियोजित नहीं लगता।
कोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सुधार की गुंजाइश को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
फैसला
हाईकोर्ट ने फांसी को आजिवन कारावास में बदल दिया। हालांकि, सजा इतनी सख्त रखी गई है कि दोषी जिंदगी भर जेल में रहेगा। यह फैसला इस बात को भी दिखाता है कि कोर्ट अपराध की गंभीरता को देखते हुए सख्त सजा देने में पीछे नहीं हटता, लेकिन व्यक्तिगत परिस्थितियों और सुधार की संभावना को भी ध्यान में रखता है।

