मस्जिद ध्वस्तीकरण केस: सपा ने की दोषी अफसरों के खिलाफ न्यायिक जांच की मांग

punjabkesari.in Thursday, May 20, 2021 - 05:03 PM (IST)

बाराबंकीः  समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश ने बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील में स्थानीय प्रशासन द्वारा हाल में एक मस्जिद को ढहाए जाने की कड़ी निंदा करते हुए संबंधित उपजिलाधिकारी तथा अन्य सहयोगी अफसरों को तत्काल निलंबित कर मामला दर्ज करने और पूरे प्रकरण की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है। सपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को जिलाधिकारी आदर्श सिंह से मुलाकात कर उन्हें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल विधान परिषद सदस्य राजू यादव ने 'भाषा' को बताया, ‘‘ज्ञापन में रामसनेही घाट के सुमेरगंज कस्बे में स्थित 100 साल से ज्यादा पुरानी मस्जिद को उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल द्वारा अनाधिकृत तरीके से ढहाने की कार्रवाई कराए जाने की कड़ी निंदा की गई है।'' ज्ञापन में कहा गया है कि वह मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति के तौर पर दर्ज है और मस्जिद ध्वस्त करने की कार्रवाई से पहले वक्फ बोर्ड को न तो कोई नोटिस दी गई और न ही उसे पक्षकार बनाया गया। उप जिलाधिकारी ने वक्फ अधिनियम का उल्लंघन करते हुए खुद अपने ही यहां वाद दायर कर ध्वस्तीकरण का फैसला सुना दिया, जबकि वक्फ से संबंधित सभी मामलों, विवादों और शिकायतों की सुनवाई के लिए वक्फ अधिकरण बना हुआ है।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है, ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी और कोरोना कर्फ्यू को देखते हुए किसी भी तरह के ध्वस्तीकरण कार्य पर आगामी 31 मई तक रोक लगा दी थी, लेकिन अदालत के आदेशों की अवहेलना करते हुए स्थानीय प्रशासन ने मस्जिद को बुलडोजर चलाकर शहीद कर दिया और वहां रखे पवित्र ग्रंथों का अपमान किया।'' ज्ञापन में मांग की गई है कि मस्जिद को असंवैधानिक तरीके से ढहाने का काम करने वाले उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल और उनके सहयोगी अफसरों को तत्काल निलंबित कर मामला दर्ज करके दंडित किया जाए। साथ ही इस पूरे प्रकरण की उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराई जाए।

गौरतलब है कि रामसनेहीघाट तहसील के सुमेरगंज कस्बे में उप जिलाधिकारी आवास के ठीक सामने स्थित एक पुरानी मस्जिद को स्थानीय प्रशासन ने गत 17 मई की शाम को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच ध्वस्त करा दिया था। जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने मस्जिद और उसके परिसर में बने कमरों को 'अवैध निर्माण' करार देते हुए कहा था कि इस मामले में संबंधित पक्षकारों को पिछली 15 मार्च को नोटिस भेजकर स्वामित्व के संबंध में सुनवाई का मौका दिया गया था लेकिन परिसर में रह रहे लोग नोटिस मिलने के बाद फरार हो गए, जिसके बाद तहसील प्रशासन ने 18 मार्च को परिसर पर कब्जा हासिल कर लिया। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Moulshree Tripathi

Recommended News

Related News

static