सती के श्राप का खौफ! मथुरा के इस मोहल्ले में करवाचौथ पर न चांद की पूजा, न सोलह श्रृंगार, सती के श्राप से थमी सुहागनों की परंपरा!
punjabkesari.in Friday, Oct 10, 2025 - 09:34 AM (IST)

Mathura News: जब पूरे देश में करवा चौथ की रौनक होती है, महिलाएं सजती-संवरती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं — तब उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक ऐसा मोहल्ला भी है, जहां करवाचौथ के दिन अंधेरा और सन्नाटा पसरा रहता है। जहां न कोई महिला व्रत रखती है, न श्रृंगार करती है और न ही इस दिन कोई पूजा होती है। इसके पीछे की कहानी बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाली है, जिसे सुनकर कोई भी हैरान रह जाए।
दुल्हन के सामने हुई पति की हत्या
यह घटना सैकड़ों साल पुरानी बताई जाती है। मथुरा के नौहझील क्षेत्र के गांव रामनगला के एक ब्राह्मण युवक की नई शादी हुई थी। वह अपनी नवविवाहिता पत्नी को ससुराल से विदा कराकर भैंसा-बुग्गी से गांव ला रहा था। रास्ते में, सुरीर इलाके के कुछ लोगों ने उसके भैंसे पर दावा करते हुए विवाद कर लिया। बात इतनी बढ़ गई कि युवक की हत्या कर दी गई — और ये सब कुछ नई दुल्हन की आंखों के सामने हुआ।
सती का श्राप: 'अब कोई भी सुहागन सजधज नहीं सकेगी'
अपने पति की लाश देखकर दुल्हन गहरे सदमे और गुस्से में आ गई। उसने वहीं पति के शव के साथ सती होने का फैसला किया और मरने से पहले वहां के लोगों को श्राप दे दिया कि जैसे मैं अपने पति को खोकर सती हो रही हूं, वैसे ही अब इस मोहल्ले में कोई भी महिला अपने पति के सामने सोलह श्रृंगार करके नहीं रह पाएगी। इसके बाद से इलाके में कई युवकों की असमय मौतें होने लगीं। विवाहित महिलाएं विधवा होने लगीं और पूरे मोहल्ले पर दुख और डर का साया छा गया।
सती मंदिर बना, लेकिन करवाचौथ पर अभी भी सन्नाटा
बुजुर्गों को लगा कि यह सब सती के श्राप का असर है। उन्होंने तत्काल उस स्थान पर एक सती मंदिर बनवाया और पूजा-पाठ कर क्षमा मांगी। इसके बाद धीरे-धीरे मौतों का सिलसिला थमा जरूर, लेकिन करवाचौथ मनाने की परंपरा दोबारा कभी नहीं शुरू हो पाई।
अब कोई महिला पहल करने को तैयार नहीं
इलाके की बुजुर्ग महिला सुनहरी देवी बताती हैं कि आज तक इस मोहल्ले की कोई भी महिला करवाचौथ का व्रत नहीं रखती। ना सजती है, ना श्रृंगार करती है। हम अपनी बेटियों को भी करवाचौथ पर कोई तोहफा नहीं देते। पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा चलती आ रही है। श्राप का डर आज भी इतना गहरा है कि कोई भी विवाहिता पहल करने को तैयार नहीं होती। सबको डर है कि अगर परंपरा तोड़ी तो अनिष्ट हो सकता है।
नतीजा: रौनक भरा त्योहार, लेकिन एक मोहल्ले में अंधेरा
देशभर में जहां करवाचौथ प्यार, आस्था और सजने-संवरने का त्योहार है, वहीं मथुरा के इस मोहल्ले में यह दिन डर और चुप्पी में गुजरता है। यह कहानी सिर्फ एक किवदंती नहीं, बल्कि समाज में फैले अंधविश्वास और परंपराओं की गहराई को भी दिखाती है।