फ़िल्म रिव्यू: छा गए पवन कल्याण, ''दे कॉल हिम ओजी'' में तूफान की तरह आए... स्टाइलिश गैंगस्टर सागा!

punjabkesari.in Thursday, Sep 25, 2025 - 11:52 AM (IST)

 'दे कॉल हिम ओजी...':  फिल्म को लेकर हर जगह जबरदस्त हाइप है. फैंस को खासतौर पर बड़े पर्दे पर पवन कल्याण का उग्र रूप देखने का बेसब्री से इंतजार था. आतिशबाजी, फ्लेक्सी, कटआउट और फैंस के जबरदस्त सेलिब्रेशन के बीच, 'ओजी..' आज सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है।

पवन कल्याण, रहस्यमयी 'ओजस गंभीरा' के रूप में, हर फ्रेम पर अपनी शांत उपस्थिति से छा जाते हैं। उनके प्रदर्शन में एक इरादतन संयम और एक खामोश गुस्सा दिखाई देता है. वह एक ऐसे शख्स हैं जिसका अतीत हिंसक है और जिसका अपना सम्मान का कोड है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, आंखों में धीमा-धीमा गुस्सा और कटान (तलवार) को चलाने का सहज तरीका - ये सब एक ऐसे बदलाव को दर्शाते हैं जो शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों है.

यह वही पावरस्टार हैं, जिसे दर्शक लंबे समय से देखना चाहते थे - गंभीर, खामोश, क्रूर, फिर भी दिल से इंसान. वह तलवार को जिस सटीकता से चलाते हैं, वह सिनेमाई एक्शन को एक नई परिभाषा देता है।

रेटिंग: 4/5

निर्देशक: सुजीत

कलाकार: पवन कल्याण, इमरान हाशमी, प्रियंका अरुल मोहन, अर्जुन दास, श्रिया रेड्डी, प्रकाश राज, हरीश उथमन, राहुल रवींद्रन

संगीत: एस थमन

सिनेमैटोग्राफी: रवि के चंद्रन, मनोज परमहंसा

एडिटर: नवीन नूली

निर्माता: डीवीवी दानय्या (डीवीवी एंटरटेनमेंट्स)

निर्देशक सुजीत ने इस एक्शन को खूबसूरती से कोरियोग्राफ किया है, जो हिंसा का एक शानदार, खून से लथपथ बैले डांस सरीखा बनाता है. एक्शन सीक्वेंस शोरगुल वाले या अव्यवस्थित नहीं हैं. इसके बजाय, वे मिनिमलिस्टिक, कैलकुलेटेड और काव्यात्मक हैं - जिन्हें स्टाइलिश तरीके से शूट किया गया है. इसका श्रेय सिनेमैटोग्राफर रवि के चंद्रन को जाता है, जिनके फ्रेम परछाई, प्रतिबिंब और शांत रंगों से भरे हुए हैं जो एक खूबसूरत सौंदर्य बनाते हैं। यह फिल्म आपको 80 के दशक के मुंबई में ले जाती है. बारिश से भीगी गलियां, पुरानी कारें और वाइड-एंगल फाइट सीक्वेंस बस 'स्लिक' हैं. सुजीत ने एक ऐसी पटकथा लिखी है जो फैंस के उत्साह को शुरू से अंत तक बनाए रखती है. पवन कल्याण की स्क्रीन प्रेजेंस हर सीन में और जान डाल देती है।
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इमरान हाशमी अपने तेलुगु डेब्यू में एक शानदार सरप्राइज हैं. ओमी नाम के विलेन के रूप में, वह एक menacing किरदार निभाते हैं. हाशमी अति-नाटकीयता का सहारा नहीं लेते हैं; इसके बजाय, वह अपने नपे-तुले लहजे और शांत भावों को ही बात करने देते हैं. करिश्मा और चालाकी के आमने-सामने की लड़ाई में, वह पवन कल्याण के लिए एक formidable प्रतिद्वंद्वी बनते हैं, और दोनों के बीच की केमिस्ट्री कहानी को और भी दमदार बनाती है।

साहो' के बाद, सुजीत 'ओजी' के साथ अपनी एक साफ आवाज़ खोजते हुए दिखते हैं. वह शोर को कम करते हैं और चरित्र की गहराई और भावनात्मक कहानी कहने पर ध्यान देते हैं. लेखन संक्षिप्त लेकिन प्रभावी है. संवादों का इस्तेमाल कम किया गया है, भावनात्मक वजन बताने के लिए चुप्पी और staging पर ज्यादा भरोसा किया गया है। पवन कल्याण के किरदार को एक जीवित मिथक की तरह संभालना तारीफ के साथ किया गया है लेकिन बिना किसी अतिरेक के. इसमें फैंस के लिए चीजें हैं, लेकिन उन्हें कहानी में खूबसूरती से बुना गया है, न कि जबरदस्ती जोड़ा गया है।

संगीतकार थमन ने एक ऐसा बैकग्राउंड स्कोर दिया है जो सिर्फ फिल्म को सपोर्ट नहीं करता - बल्कि उसे चलाता है. 'फायरस्टॉर्म' और 'गन्स एंड रोज़ेज' को सिनेमाघरों में जबरदस्त तालियां और सीटियां मिलीं. दूसरी तरफ, भावनात्मक बैकग्राउंड स्कोर भी और जादू भरता है. 'Iz' narrative की दिल की धड़कन बन जाता है, जो किरदार की यात्रा के साथ अपनी तीव्रता बढ़ाता है. यहां थमन का काम उनके सबसे बेहतरीन कामों में से एक है।

टेक्निकल टीम:

नवीन नूली द्वारा की गई एडिटिंग शानदार है, जो दृश्यों को सांस लेने देती है और कहानी की गति को भी बनाए रखती है. ए.एस. प्रकाश द्वारा किया गया प्रोडक्शन डिज़ाइन अंडरवर्ल्ड की सेटिंग को एक स्टाइलिश, लगभग ग्राफिक नॉवेल जैसा एहसास देता है. एक्शन कोरियोग्राफी शानदार है, लगभग हर एक्शन सीक्वेंस अपनी अनूठी सिनेमैटिक टेकिंग के साथ standout करता है. स्टंट कोरियोग्राफर्स को सलाम. कॉस्ट्यूम डिज़ाइन सूक्ष्मता से चरित्र के बदलाव को दर्शाता है और 80 के दशक की शैली को प्रस्तुत करता है, पवन का मिनिमलिस्टिक, रग्ड लुक बनाम इमरान की तेज, सिल सिलाई विलेनशिप.
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ओजी' सिर्फ एक और गैंगस्टर फिल्म नहीं है. यह 'ओजस गंभीरा' का एक चरित्र अध्ययन है, और पवन कल्याण के करियर-डिफाइनिंग performance से प्रेरित एक स्टाइलिश एक्शन ओपेरा है. निर्देशक सुजीत ने थमन के शानदार संगीत और इमरान हाशमी के दमदार विलेन के साथ अपना सबसे केंद्रित और परिपक्व काम दिया है. गैंगस्टर फिल्मों के और पवन कल्याण के फैंस के लिए, यह देखने लायक है।

ओजी' एक स्टाइलिश, भावनात्मक रूप से गूंजती गैंगस्टर महाकाव्य है जो पवन कल्याण की electrifying उपस्थिति, थमन के गड़गड़ाते स्कोर और सुजीत के आत्मविश्वासी निर्देशन से भरपूर है.


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Content Editor

Imran

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