जौनपुर में मनाई गई महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की 104 वीं जयंती, इस महान वैज्ञानिक की उपलब्धियों के बारे में जानें....

punjabkesari.in Saturday, Aug 12, 2023 - 03:16 PM (IST)

Jaunpur News: उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले के सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर आज हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने भारत को अंतरिक्ष तक पहुंचाने वाले वैज्ञानिक विक्रम अम्बालाल साराभाई की 104 वीं जयंती पर उन्हें याद किया ।      

इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर फूल- माला चढ़ाकर उन्हें याद किया। इस अवसर पर लक्ष्मी बाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने शहीद स्मारक पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अहमदाबाद के एक अग्रणी कपड़ा व्यापारी के घर 12 अगस्त, 1919 को को जन्मे श्री साराभाई की गिनती भारत के महान वैज्ञानिकों में की जाती है। वह अपने साथ काम करने वाले वैज्ञानिकों, विशेषकर युवा वैज्ञानिकों को आगे बढ़ने में काफी मदद करते थे। उन्होंने कहा कि श्री साराभाई का भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में काफी योगदान है ।                            

सुश्री कौर ने कहा कि उन्होंने इसरो की स्थापना के लिए सरकार को राजी किया था। उन्होंने तिरुवनंतपुरम के थुंबा गांव में से 21 नवंबर 1963 को एक छोटा रॉकेट लांच किया था, बाद में इस प्रक्षेपण स्थल का नाम विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर रखा गया। देश के कई अहम संस्थाओं की स्थापना मैं उनका योगदान रहा। उन्होंने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की और थोड़ी ही समय में इसे विश्वस्तरीय संस्थान बना दिया। वैज्ञानिकों ने जब अंतरिक्ष अध्ययन के लिए सैटलाइट्स को एक अहम साधन के रूप में देखा, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और होमी भाभा ने विक्रम साराभाई को अध्यक्ष बनाते हुए इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना के लिए समर्थन दिया। उन्होंने 15 अगस्त 1969 को इंडियन स्पेस रीसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) की स्थापना की।                      

सुश्री कौर ने कहा कि औसत से बड़े कान होने के चलते परिवार वाले इनकी तुलना गांधी जी के कान से करते थे। 1942 में मशहूर नृत्यांगना मृणालिनी से इनका विवाह हुआ। बेटी मल्लिका अभिनेत्री है और बेटे कार्तिकेय शोध और अनुसंधान क्षेत्र से जुड़े हैं । भारत सरकार ने 1966 में उन्हें पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) प्रदान किया। विक्रम साराभाई का महज 52 साल की उम्र में 30 दिसंबर, 1971 को तिरुवनंतपुरम में निधन हो गया। इस अवसर पर डॉ0 धरम सिंह , मैनेजर पांडेय , अनिरुद्ध सिंह , दिशा , मंजीत कौर सहित अनेक लोग मौजूद रहे । 


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Content Editor

Harman Kaur

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