मऊ की धरती से माफिया व शूटर पैदा किए जाते थे...: दिनेश प्रताप

punjabkesari.in Friday, Jul 22, 2022 - 08:17 PM (IST)

मऊ: उत्तर प्रदेश के उद्यान मंत्री व जनपद के प्रभारी मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा है कि पहले मऊ की धरती से माफिया व शूटर पैदा होते थे। आम आदमी सुकून की सांस नहीं ले पाता था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में प्रदेश में संगठित आपराधिक गिरोहों का जाल ध्वस्त कर दिया गया। यही नहीं, माफिया व शूटर जेल की सलाखों के पीछे हैं। बता दें कि वह शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। दिनेश प्रताप सिंह ने शुक्रवार को कहा कि उद्यान विभाग कृषि विभाग का इंजन होता है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के सहयोग से ही खेती किसानी में बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।      

सिंह ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यदि किसान आठ बीघे खेत में सामान्य अनाजों की खेती करता है तो उसे दो बीघे खेत में फल फूल व औषधीय खेती करना चाहिए। जिससे उसकी आय में कई गुना का इजाफा नजर आएगा। कुशीनगर जिले के किसानों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां कुछ किसानों द्वारा एक एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती करके लाखों रुपए की कमाई की जाती है। ऐसे में अदरक, हल्दी, केला, फूल जैसे फल व औषधीय खेती के माध्यम से किसान अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं। इसके लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा तमाम योजनाएं संचालित कर सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है।

उन्होंने कहा कि अगर जमीन अधिक हो तो आम की बागवानी, अमरूद की बागवानी संभव है। वही सामान्य खेती में भी केला की खेती, लहसुन, प्याज, मिर्च, धनिया की खेती शंकर साकभाजी खेती, मधुमक्खी पालन, कद्दू, शिमला मिर्च मसाला मिर्च, धनिया इत्यादि खेती के माध्यम से अच्छी कमाई की जा सकती है। जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सब्सिडी भी उपलब्ध है।      

सिंह ने बताया कि मऊ जनपद के प्रत्येक विकासखंड में उद्यान विभाग एक मॉडल गांव की स्थापना करेगा।उक्त गांवो में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित एक मॉडल बनाया जाएगा। इजरायल की खेती पद्धति का उदाहरण देते हुए उन्होंने किसानों से अपील किया औषधीय व फल फूल की खेती कम जगह में अधिक लाभ उपलब्ध कराती है।      

उन्होंने कहा कि हरित क्रांति के दौरान गेहूं और चावल पर गेहूं धान की खेती पर अधिक जोर दिया गया। जिसका कारण यह हुआ कि आज हमारे थाली से मोटे अनाज गायब हो गए हैं, जो हमें अंदर की ताकत उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं। ऐसे में ज्वार, बाजरा, सावा, कोदो की खेती फिर से शुरू कर हम अपने शरीर में अंदर की ताकत को फिर से पैदा कर सकते हैं। जो हमारे लिए नितांत आवश्यक है।


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Content Writer

Mamta Yadav

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