कथावाचकों की व्यास पीठ से मौला-अली जैसे संबोधन से नाराज महंत नरेंद्र गिरी, कही ये बात

punjabkesari.in Sunday, May 24, 2020 - 06:43 PM (IST)

प्रयागराजः कथावाचकों की व्यासपीठ से मौला और अली जैसे शब्दों के संबोधन पर नाराजगी जताते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि सनातन धर्म में व्यास पीठ को पूज्यनीय माना गया है। अनादिकाल से शुकदेव जी के नाम से व्यास पीठ की स्थापना हुई है। महंत नरेन्द्र गिरि ने कहा कि कथा मंचों से अल्लाह और मौला का नाम नहीं लिए जाने की परंपरा रही है, इसलिए जो कथावाचक ऐसा कर रहे हैं वो सरासर गलत कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में सभी धर्मों का आदर किया जाता है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि व्यास मंचों से कुरान और शराब का महिमामंडन हो। जिन कथावाचकों को अली या मौला कहना है वह व्यास की गद्दी तत्काल छोड़ दें। नरेंद्र गिरि ने कहा कि कथावाचक संत नहीं होते हैं इसलिए लोग संत कहकर समाज को भ्रमित न करें। कथावाचक संत नहीं बल्कि सद् गृहस्थ हैं। सनातन परंपरा में शराब का महिमामंडन व्यासपीठ से उचित नहीं है और न ही सनातन परंपरा में शराब के लिए कोई स्थान है।

नरेंद्र गिरि ने कहा कि अखाड़ा परिषद व्यासपीठ के ऐसे किसी भी आचरण का पुरजोर विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि व्यास पीठ से कथा वाचन के दौरान शेयरों-शायरी करना और फिल्मी गीतों के धुनों पर नृत्य करना भी गलत है। व्यास पीठों से हो रहे ऐसे कृत्यों से सनातन धर्म की हानि हो रही है, इसलिए अखाड़ा परिषद ऐसे हर कृत्यों का विरोध करेगा।


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Tamanna Bhardwaj

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