शर्मनाक! बेटे ने सगी मां से नशे में किया दुष्कर्म, बचाने को बयान से पलटी मां – लेकिन सबूतों के आधार पर कोर्ट ने सुनाई 7 साल की सजा
punjabkesari.in Thursday, Oct 16, 2025 - 10:27 AM (IST)

Ghaziabad News: गाजियाबाद के टीला मोड़ थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहां शराब के नशे में एक बेटे ने अपनी ही सगी मां के साथ चाकू के बल पर दुष्कर्म किया। यह घटना साल 2021 की है, जिसका फैसला बीते बुधवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया। अदालत ने दोषी बेटे को सात साल के कठोर कारावास की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
दीवाली की रात घटी थी वारदात
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नितिन शर्मा ने बताया कि 56 वर्षीय पीड़िता अपने पति और 4 बच्चों के साथ टीला मोड़ थाना क्षेत्र में रहती हैं। दो बेटियां शादीशुदा हैं और दोनों बेटे घर पर रहते थे। चार नवंबर 2021, दीवाली की रात महिला घर में अकेली थी। पति और छोटा बेटा बाहर गए हुए थे। उसी दौरान बड़ा बेटा शराब के नशे में घर आया। उसके हाथ में चाकू था। उसने मां को धमकाया और चाकू के बल पर उसके साथ दुष्कर्म किया।
मां ने खुद दी पुलिस को सूचना
घटना के बाद पीड़िता ने तुरंत 112 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल कर सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। महिला का मेडिकल परीक्षण कराया गया और रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि हुई। जांच के दौरान मां के कपड़ों पर बेटे का स्पर्म मिला, जिससे अपराध साबित हो गया।
मां ने पहले दिया बयान, फिर पलटी
पुलिस ने पीड़िता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहां उसने बेटे के खिलाफ बयान दिया था। लेकिन बाद में अदालत में बयान बदलते हुए उसने कहा कि उसके बेटे ने दुष्कर्म नहीं किया। हालांकि, कोर्ट ने मां के पलटे हुए बयान पर विश्वास नहीं किया, क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट, गवाहों और पुलिस जांच से यह साफ हो गया था कि आरोपी ने अपराध किया है।
गवाहों और साक्ष्यों से साबित हुआ अपराध
अदालत में डॉक्टर, विवेचक और एफआईआर दर्ज करने वाली सिपाही ने भी बयान दिए। सभी साक्ष्यों से यह साबित हुआ कि बेटे ने मां के साथ जबरन संबंध बनाए। अभियोजन पक्ष ने अदालत में कहा कि आरोपी को उसके भाई और बहन ने भी बचाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर आरोपी निर्दोष होता, तो परिवार के बाकी सदस्य जरूर उसका साथ देते।
कोर्ट ने दिया सख्त फैसला
फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश रश्मि रानी ने सभी सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए आरोपी बेटे को दोषी करार दिया और 7 साल की कठोर सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि यह घटना ना केवल एक मां-बेटे के रिश्ते को कलंकित करती है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि ऐसे अपराधों में किसी को बख्शा नहीं जाएगा।