Ayodhya News: राम मंदिर निर्माण देख भावुक हो उठे शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा, बोले- सदियों की कल्पना साकार हो रही
punjabkesari.in Thursday, Dec 21, 2023 - 03:06 AM (IST)

Ayodhya News: भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर निर्माण को देखकर राम मंदिर के शिल्पकार चन्द्रकांत सोमपुरा भावुक हो उठे। चन्द्रकांत सोमपुरा मंदिर निर्माण के प्रवेश द्वार पर जैसे पहुंचे उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। दोनों हाथ जोडक़र करीब दो मिनट तक मंदिर को निहारते रहे। ट्रस्ट के पदाधिकारियों से कहा “रामजी की महती कृपा है मुझ पर तभी उन्होंने मेरे मॉडल को स्वीकार किया।” इतनी खुशी हो रही है कि बता नहीं सकता।
1989 में चंद्रकांत ने मंदिर का डिजाइन तैयार किया
देश के प्रख्यात शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा ने 34 साल पहले जब मंदिर का मॉडल बनाया था, तब मंदिर निर्माण केवल कल्पना ही था। अब राममंदिर उसी मॉडल व डिजाइन पर निर्मित हो रहा है। विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंहल चंद्रकांत सोमपुरा को अयोध्या लाए थे। अशोक सिंहल के निर्देशानुसार 1989 में चंद्रकांत ने मंदिर का डिजाइन तैयार किया। प्रयागराज के कुंभ में संतों की ओर से डिजाइन को हरी झंडी मिलने के बाद उन्होंने लकड़ी का एक मॉडल बनाया, जो राममंदिर का प्रतीक भी बन गया। हालांकि 9 नवंबर 2019 को राममंदिर के हक में फैसला आने के बाद मंदिर की डिजाइन में बदलाव किया गया। पहले राममंदिर की ऊंचाई 128 फीट थी। अब 161 फीट है। अब करोड़ों हिंदुओं की आकांक्षा पूरी हो रही है तो चंद्रकांत भी अपने को अयोध्या आने से रोक नहीं पाए। उनके दौरे के समय श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव, आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा आदि मौजूद रहे।
कदमों से मापी थी जमीन
राममंदिर के ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र ने बताया कि जब से राममंदिर का निर्माण शुरू हुआ था, तब से चंद्रकांत सोमपुरा अयोध्या नहीं आए थे। अब राममंदिर का उद्घाटन होने को है। ऐसे में मंदिर निर्माण कार्य का साक्षी बनने की इच्छा से वे मंगलवार को अयोध्या पहुंचे। उन्होंने मंदिर निर्माण में जुटे इंजीनियरों व कारीगरों से बात भी की। बताया कि चंद्रकांत ने अशोक सिंहल के साथ उस जगह का दौरा किया था, जहां अब मंदिर बन रहा है। तब उन्हें सुरक्षा कारणों से जमीन मापने के लिए टेप लेकर प्रवेश नहीं दिया गया था। टेप के अभाव में चंद्रकांत ने पैरों से मापकर पूरी जमीन का अनुमानित सर्वेक्षण किया। मंदिर की डिजाइन उसी अवधारणा पर बनाई गई थी।